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चमोली हादसा : परिजनों की चीख-चीत्कारों से गूंज रहा है तपोवन

उत्तराखण्ड। तपोवन सुरंग में मौत का शिकार बने अपने परिजनों को देखकर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पूरा बैराज क्षेत्र परिजनों की करूण चीत्कारों से गूंज रहा है। कीचड़ में लथपथ शवों देखकर साफ लग रहा है कि उन्हें बहुत दर्दनाक मौत नसीब हुई।

अपने परिजनों की तलाश में आए लोगों को सुरंग क्षेत्र से दूर रोका गया है। सुरंग से बचाव टीमें जैसे जैसे शव बाहर लाती, दूर खड़े लोगों की आंखों से आंसू झरने लगते। सोमवार को सुरंग से सबसे पहले पोखरी के संजय का शव सुरंग से बाहर लाया। संजय के परिजन भी उसकी तलाश में आए हुए थे। शव की शिनाख्त होने के बाद जैसे ही पता चला कि संजय न रहा, परिजनों की चीख- करूण चीत्कारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।

स्थानीय देवेंद्र सिंह के साथ संजय के परिजन यहां आए थे। अपने जिगर के टुकड़े को कीचड़ में लथपथ निष्प्राण देख परिजनों की आंखों आंसुओं का सैलाब बह निकला। सोनू लोदी और गजेन्द्र का शव भी इसी टनल से मिला। सोनू के ताऊ और गजेन्द्र के भाई को भी रो रोकर बुरा हाल था। सलदार का शव भी मलवे से पूरी तरह लिपा ढका है।

चमोली में ग्लेशियर पिघलने से बढ़ा गंगा नदी का जलस्तर, बिजनौर में किसानों की फसल चौपट

बिजनौर। उत्तराखंड के चमोली मे अचनाक ग्लेशियर पिघलने से मची तबाही के बाद अब उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में इसका असर देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे बसे जिलों को अलर्ट कर दिया गया है। वहीं बिजनौर में बने गंगा बैराज में जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे लगी किसानों की सब्जी की फसल खतरे में आ गई है।

दरअसल, उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर पिघलने की वजह से भारी जान-माल की हानि हुई है। जिले में ताबाही की मंजर साफ देखा जा सकता है। गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से 22 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने की वजह से बिजनौर में बने गंगा बैराज घाट पर करीब एक मीटर तक पानी किनारे पहुंच गया है, जिससे किसानों की सब्जी की फसब पूरी तरह से चौपट हो गई है। वहीं, प्रशासन ने भी बढ़ते जलस्तर को देखते हुए ग्रामीणों को गंगा पार खेती करने से रोक दिया है।

प्रशासन ने ग्रामीणों को चेतावनी देते हुए कहा है कि कोई भी ग्रामीण गंगापार खेती करने न जाए। सुरक्षा व्यवस्था के लिए क्षेत्र में प्रशासन ने पुलिस बल तैनात कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक अभी हरिद्वार से और ज्यादा पानी छोड़े जाने की संभावना है। जिससे गंगा नदी का जलस्तर बढ़ सकता है।

बता दें कि गंगा नदी पर बने पैंटून पुल से आने-जाने वालों पर रोक लगा दी गई है। इस पुल से 12 से अधिक गांव के लोग रोजाना खेती के लिए आते-जाते हैं।

 बिजनौर से लोकेंद्र कुमार की रिपोर्ट

चमोली: ऋषिगंगा नदी में अचानक पानी बढ़ने से रोकना पड़ा बचाव कार्य,टनल से निकली टीम

उत्तराखण्ड। चमोली में गुरुवार को एक बार फिर उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब ऋषिगंगा नदी में अचानक जल स्तर तेजी से बढ़ा गया और इस वजह से राहत और बचाव काम को रोकना पड़ गया।

तपोवन टनल से मलबा निकालकर मजदूरों की तलाश में जुटी टीम को आनन-फानन निकालना पड़ा। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा, ”चमोली जिले में बचाव कार्य को अस्थायी तौर पर रोका गया है। ऋषिगंगा नदी में पानी का बहाव बढ़ गया है।”

7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने के बाद आई बाढ़ में कई लोगों की मौत हो गई तो बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। टनल में भी करीब दो दर्जन से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है।

उनकी तलाश के लिए मलबा हटाने का काम चल रहा है। अभी यह नहीं पता चला है कि नदी में अचानक बहाव बढ़ने की वजह क्या है। रैणी गांव से जानकारी एकत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

चमोली त्रासदी: श्रमिकों को निकालने के लिए अब टनल के ऊपर से होगी ड्रिलिंग,ड्रोन भी हुआ फेल

उत्तराखण्ड।  सुरंग में फंसे 35 कर्मचारियों का सुराग लगाने भेजा ड्रोन फेल हो गया है। अब रेस्क्यू टीमें सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग कर पता लगाने की कोशिश करेंगी। तपोवन जल विद्युत परियोजना की जिस 400 मीटर लंबी सुरंग में बीते रविवार को जल प्रलय से  35 कर्मचारी फंस गए थे, अभी तक उनका पता नहीं चल पाया है। बचाव दल ने खोज और बचाव के सुरंग में ड्रोन भेजा, जो सुरंग के कुछ हिस्से तक ही जा पाया।

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि इस सुरंग में  जमा गाद को निकालने के लिए चार दिन से मशीनें लगी हैं, लेकिन पूरी सुरंग गाद से भरी होने से अभियान बार-बार बाधित हो रहा है। अब परियोजना की दो सुरंगों के मुहाने पर ड्रिलिंग करने का फैसला लिया गया है। 400 मीटर लंबी इस सुंरग की ऊपरी सतह बहुत कठोर है। इसलिए ड्रिलिंग करना भी चुनौती से कम नहीं है। सुरंग के अंदर मलबा निकालने में जुटी मशीनों को भी तब कुछ देर मुश्किल का सामना करना पड़ा, जब लोहे की बड़ी-बड़ी छड़ें टनल  के दोनों तरफ से उभर आईं।

उत्तराखंड के चमोली जिले की ऋषिगंगा में रविवार को आई आपदा ने भारी तबाही मचाई है। इस हादसे में अब भी कई श्रमिक लापता हैं। राहत व बचाव कार्यों में जुटे सुरक्षा बला सुरंग में फंसे  मजदूरों को निकालने में कोई कमी कसर नहीं छोड़ रहे हैं।  बुधवार शाम तक आपदा ग्रस्त क्षेत्र में से रेस्क्यू टीमों ने अभी तक 34 शव बरामद कर लिए हैं, जिनमें से 10 मृतकों क शिनाख्त हो गई है।

चिंता की बात है कि आपदाग्रसत क्षेत्र में अभी भी 170 व्यक्ति लापता हैं। रेस्क्य कार्य में जुटे एनडीआरएफ,एसडीआरएफ,सेना, आईटीबीपी सहित बीआरओ के बहादुर जवानों की कोशिश लगातार जारी है।

चमोली हादस : अब तक 32 शव बरामद,रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

उत्तराखंड। चमोली जिले की ऋषिगंगा में आई जल प्रलय ने भारी तबाही मचाई है। इस हादसे में अब भी 206 लोग लापता है इनमें से बिजली परियोजना की सुरंग में फंसे हुए करीब 25-35 मजदूरों को निकालने की कवायद जारी है।  रैणी गांव स्थित ऋषिगंगा परियोजना की साइट से चार और शव मिले। इस तरह कुल मृतकों की संख्या 32 तक पहुंच गई है।

रैणी-तपोवन त्रासदी में बिजली परियोजना की टनल में तीन दिन से फंसे लोगों को रेस्क्यू करना मुश्किल होता जा रहा है। टनल के अंदर मौजूद टनों मलबा बचाव कार्य में बाधा बन रहा है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ मौके पर राहत और बचाव कार्य में जुटी है। लेकिन टनल के अंदर के हालात ऐसे हैं कि फंसे लोगों तक पहुंचना चुनौती बना हुआ है।

तपोवन परियोजना में दो सुरंग हैं। दो किमी लंबी मुख्य टनल पूरी तरह बंद है। इसका मुहाना भी पूरी तरह मलबे में दबा है। मुख्य टनल से 180 मीटर लंबी दूसरी टनल जुड़ती है। इसी टनल से रास्ता खोलने का प्रयास चल रहा है।

इस दूसरी टनल के साथ एक 450 मीटर लंबी सहायक टनल भी है, जहां करीब 30 मजदूरों के फंसे होने की सम्भावना है। जबकि पांच मजदूर दो किमी लम्बी मुख्य टनल में फंसे हुए है। लेकिन मंगलवार शाम तक भी 150 मीटर तक ही बचाव दल के सदस्य जा पा रहे हैं, जिसमें जेसीबी 120 मीटर तक ही पहुंच पाई है।

तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की एक सुरंग में फंसे हैं 34 लोग, देखिए रेस्क्यू का ऑपरेशन का पूरा वीडियो

नई दिल्ली। चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की एक सुरंग में फंसे करीब 34 व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। पर सुरंग में मलबा अधिक होने के कारण मुश्किलें पेश आ रही हैं, सुरंग के अंदर एक वाहन भी फंसा है। ऐसे में टनल के मुख्य द्वार से मलबा हटाने में देरी होने के बाद अब बीच से रास्ता ढूंढने की कोशिश की जा रही है।

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आइटीबीपी और सेना वहां बचाव व राहत कार्य संचालित कर रहे हैं। वहीं, 206 लापता लोगों में से 32 के शव अब तक बरामद हो चुके है, जबकि टीम को सात मानव अंग भी मिले है। इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और हालातों का जायजा ले रहे हैं।

 

संसद में गृहमंत्री ने उत्तराखंड की तबाही का बताया पूरा हाल, कहा- पीएम खुद कर रहे हैं निगरानी

नई दिल्ली। रविवार को उत्तराखंड में आई त्रासदी पर मंगलवार को संसद में बात करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ITBP के 450 जवान, NDRF की 5 टीमें, भारतीय सेना की 8 टीमें, एक नेवी टीम और 5 IAF हेलीकॉप्टर खोज और बचाव अभियान में लगे हुए है। आपको बता दें कि उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आए सैलाब से बड़ा नुकसान हुआ है।

संसद में अपनी बात रखते हुए गृहमंत्री ने कहा कि मैं सदन को केंद्र सरकार की ओर से आश्वस्त करता हूं कि राहत और बचाव के सभी संभव उपाय राज्य सरकार के साथ समन्वय बैठाकर किए जा रहे हैं साथ ही जो बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने चहिए, वो उठाये जा रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र की ओर से स्थिति से निपटने के लिए 24 घंटे उच्च स्तरीय निगरानी की जा रही है। खुद प्रधानमंत्री अपनी देखरेख में हर संभव मदद का प्रयास कर रहे हैं। राज्य को हर संभव मदद देने के साथ-साथ गृह मंत्रालय के दोनों कंट्रोल रूम के द्वारा नजर रखी जा रही है। उत्तराखंड सरकार की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक कल शाम 5 बजे तक 20 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 6 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। जानकारी के मुताबिक 197 लोग अभी भी लापता हैं, जिनमें NTPC के निर्माणाधीन परियोजना के 139, ऋषि गंगा के 46 व्यक्ति और 12 ग्रामीण लोग शामिल हैं।

शाह ने कहा कि 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा की सहायक नदी क्षेत्र में हिमस्खलन की घटना घटी। जिसके कारण नदी के जलस्तर में काफी वृद्धि हुई। अचानक आई बाढ़ से निचले क्षेत्र में धौलीगंगा नदी पर स्थित NTPC की निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना को भी काफी नुकसान हुआ है।

उत्तराखंड ग्लेशियर हदसाः बुलंदशहर में सुरक्षित स्थान पर पहुंचे गंगा किनारे बसे लोग, सीएम योगी ने जारी किया अलर्ट

लखनऊ। उत्तराखंड के चमोली में बांध टूटने से पैदा हुई स्थिती से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के संबंधित विभागों और अफसरों को अलर्ट कर दिया है। सीएम ने कहा है कि पूरी नजर मुस्तैदी से रखी जाए। साथ ही SDRF को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने गंगा नदी किनारे बसे सभी जिलों के डीएम, एसपी को अलर्ट करते हुए पूरी तरह से सतर्क रहने के निर्देश दिए है। सीएम के आदेश के तहत बुलंदशहर जिले में गंगा नदी के किनारे बसे गांव और बाजारों में सभी को अलर्ट कर दिया गया है। राजघाट, रामघाट, नरौरा घाट, और छोटी काशी, अनूपशहर घाट पर भी हाई अलर्ट जारी कर दिया है। पुलिस प्रशासन के आलाधिकारी पूरी मुस्तैदी के साथ लोगों से अपील कर रहे हैं कि सभी लोग सावधान रहें। किसी भी तरीके की कोई दिक्कत आती है तो तत्काल प्रभाव से प्रशासन उनकी मदद करेगा।

गौरतलब है कि आपदा को देखते हुए प्रशासन की ओर से आपातकालीन बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी बनाया गया है। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार के आदेशानुसार प्रशासन के अधिकारियों ने घाटों के किनारे गोताखोरों को भी लगा दिया है। किसी भी तरीके की कोई समस्या आती है तो तत्काल प्रभाव से प्रशासन को सूचित करने की अपील के साथ जिला प्रशासन लगातार ढोल बजाकर नुमादी कर रहा है। जो भी लोग गंगा घाट के किनारे जाफरी डाल कर अपना जीवन यापन कर रहे थे और दुकान चला रहे थे वह लोग भी सुरक्षित स्थानों पर अपनी दुकानों को लेकर जा रहे हैं। फिलहाल सभी ने गंगा घाट के किनारे से अपनी-अपनी दुकानों तक को हटा लिया है। जिला प्रशासन भी सभी लोगों से अपील कर रहा है कि किसी भी तरीके से वह सुरक्षित स्थानों पर पहुंच जाएं और किसी को भी कोई परेशानी ना हो इसको लेकर लगातार जिला प्रशासन हाई अलर्ट जारी किए हुए हैं।

घाट पुरोहित नरेंद्र उपाध्याय का कहना है कि लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं और किसी भी तरीके की कोई समस्या फ़िलहाल नहीं है। प्रशासन भी उनकी पूरी मदद कर रहा है।