हिंद महासागर में ताकत दिखाएंगे भारत-फ्रांस, INS विक्रमादित्य और चार्ल्स डे गॉल रक्षा अभ्यास में होंगे शामिल
भारत-फ्रांस अप्रैल महीने में हिंद महासागर और अरब सागर में दो फेज में रक्षा सहयोग बढ़ाते हुए अभ्यास करने जा रहे हैं।
भारत-फ्रांस की दोस्ती दुनियाभर के किसी भी देश से छिपी नहीं है। फ्रांस ने ही भारत को राफेल लड़ाकू विमानों का बेड़ा दिया था, जिसके बाद भारतीय वायुसेना की ताकत में कई गुना इजाफा हो गया। अब दोनों देश जल्द ही अपनी ताकत और दोस्ती एक बार फिर से दिखाने जा रहे हैं। भारत-फ्रांस अप्रैल महीने में हिंद महासागर और अरब सागर में दो फेज में रक्षा सहयोग बढ़ाते हुए अभ्यास करने जा रहे हैं। भारत की ओर से आईएनएस विक्रमादित्य और फ्रांस की तरफ से चार्ल्स डे गॉल इस रक्षा अभ्यास में शामिल होगा। इस मामले से जानकार लोगों ने बताया कि अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
फ्रेंच कैरियर पर दो युद्धपोत और एक सपोर्ट वाला शिप मौजूद है। यह कई महीनों के लिए मिशन ‘क्लेमेंस्यू 21’ पर है, जो भूमध्य सागर, हिंद महासागर और अरब सागर / फारस की खाड़ी में आतंकवाद से लड़ने का काम करेगा। घटनाक्रम से जानकारी रखने वाले भारतीय नौसेना के अधिकारियों के अनुसार, नए नियुक्त कमांडर रियर एडमिरल अजय कोचर फ्रांसीसी बेड़े के साथ होने वाले अभ्यास का हिस्सा होंगे। बता दें कि चार्ल्स डे गॉल एक 42,500 टन का एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसपर नौसेना के अधिकारियों के अलावा राफेल फाइटर जेट्स भी होते हैं। आईएएनएस विक्रमादित्य की बात करें तो इसका वजन 44,500 टन है, जिस पर मिग -29 के विमान तैनात होंगे।
वहीं, अप्रैल में फ्रांस के साथ भारत के रिश्ते तब और मजबूत होंगे जब वहां के विदेश मंत्री जीन ले ड्रायन यहां का दौरा करेंगे। वे एक थिंकटैंक में लैक्चर भी देंगे। भारत और फ्रांस ने इंडो-पैसिफिक में नेविगेशन की स्वतंत्रता पर काम करता रहा है, जिसमें पेरिस क्षेत्र के लिए एक विशेष दूत नियुक्त किया जाना भी शामिल है। दोनों देशों के बीच होने वाले सैन्य अभ्यास के अलावा, 19-23 अप्रैल के बीच में फ्रांस से भारत सात और राफेल विमान आने हैं। इसके बाद अंबाला एयरबेस पर पहला स्कवाड्रन पूरा हो जाएगा। बाकी के बचे 18 राफेल फाइटर जेट्स की तैनाती ईस्टर्न सेक्टर के हाशिमारा में होगी।