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किसान ट्रैक्टर रैली: सिंघु बॉर्डर के बाद टिकरी बॉर्डर पर भी किसानों ने तोड़े पुलिस बैरिकेड्स

नई दिल्ली। देश अपना 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। राजधानी दिल्ली के राजपथ के साथ-साथ आज हर किसी की निगाहें दिल्ली की सीमाओं पर भी टिकी हुई है। कृषि कानून के खिलाफ पिछले दो महीनों से आंदोलन कर रहे किसान आज दिल्ली की सीमाओं के आसपास ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं। कड़ी सुरक्षा और तमाम व्यवस्थाओं को करने के बाद दिल्ली पुलिस ने इसकी इजाजत दी है।

सिंघु बॉर्डर से किसानों का ट्रैक्टर मार्च शुरू हो गया है। बार-बार दिल्ली पुलिस की ओर से किसानों से नियमों का पालन करने की अपील की जा रही है। इसके साथ ही रूट के बारे में बताया जा रहा है। किसानों को राजीव गांधी ट्रांसपोर्ट पर रोक दिया गया है।

किसानों की ओर से निकाली जा रही ट्रैक्टर परेड में जेसीबी भी शामिल हुई है। जेसीबी के अंदर बैठकर महिलाएं भी ट्रैक्टर परेड में शामिल हो रही हैं। जेसीबी से किसानो ने रास्ते चौड़े किए और बैरिकेड्स हटाए। संगीत की धुन और देशभक्ति के नारों के साथ किसानो के ट्रैक्टर आगे बढ़ रहे हैं।

सिंघु बॉर्डर के बाद टिकरी बॉर्डर पर भी किसानों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया है।

सिंघु बॉर्डर से किसानों के एक जत्थे ने ट्रैक्टर मार्च शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि ये सभी किसान किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब से जुड़े हुए हैं। अभी संयुक्त किसान मोर्चा का मार्च शुरू नहीं हुआ है।

सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने पुलिस की ओर से लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ दिया है। किसानों की ओर से दिल्ली में दाखिल होने की कोशिश की जा रही है।

दिल्ली पुलिस ने किसानों को दी ट्रैक्टर परेड की अनुमति, जानिए, किस रूट से होकर गुजरेंगे अन्नदाता ?

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड निकालने की किसानों को अनुमति दे दी। अब किसान सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर से ट्रैक्टर परेड निकाल सकेंगे। तीनों जगहों से किसान करीब 100 किलोमीटर तक दिल्ली में ट्रैक्टर परेड कर सकेंगे।

विशेष आयुक्त इंटेलिजेंस दीपेंद्र पाठक ने बताया कि गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली निकालने की मांग का सम्मान करते हुए दिल्ली के 3 जगह से- सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर से बैरिगेट्स को हटाकर दिल्ली के अंदर मेन रोड पर कुछ किलोमीटर तक अंदर आने पर सहमति हुई है। टिकरी बॉर्डर से प्रवेश करने पर 63-64 किलोमीटर के स्ट्रेच, सिंघु बॉर्डर से 62-63 किलोमीटर के स्ट्रेच और गाजीपुर बॉर्डर से 46 किलोमीटर के स्ट्रेच की अनुमति है। ट्रैक्टरों को इस तरह से लाया जाए कि मार्च शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से हो।

किसानों की ट्रैक्टर रैली को मिली हरी झंडी, दिल्ली पुलिस ने इन शर्तों पर दी इजाजत

किसान दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर रैली करने को लेकर किसान अपनी मांग पर अड़े हुए है। साथ ही कई राज्यों से भी किसान रैली में शामिल होने के लिए दिल्ली कूच कर रहे है। ऐसे में आज सिंघु बॉर्डर पर पंजाब किसान संघर्ष कमेटी के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने कहा है कि कई किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर होने वाले ट्रैक्टर रैली में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कह दिया की किसान दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर जरूर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे ही, दिल्ली पुलिस इसके लिए अनुमति दे या नहीं तो वही दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस की तरफ से किसानों को सेंट्रल दिल्ली में ट्रैक्टर परेड की इजाजत नहीं दी जाएगी। हालांकी दिल्ली पुलिस को किसानों द्वारा दिए जाने वाले रुट मैप दे दिया गया है। इसके बाद किसानों और पुलिस की फाइनल मीटिंग की जाएगी। किसानों को ट्रैक्टर परेड के लिए लिखित में रूट देना होगा। किसान गणतंत्र दिवस परेड के बाद ही अपनी ट्रैक्टर परेड निकाल सकेंगे।

https://youtu.be/uVL91Np7Mcc

उत्तराखंड : ट्रैक्टर रैली को लेकर किसानों का बड़ा फैसला, कहा- 26 जनवरी को हर घर से दिल्ली पहुंचेंगे किसान  

उत्तराखंड। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में आयोजित ट्रैक्टर रैली को लेकर आज दिनेशपुर गुरुद्वारे में किसानों ने बैठक की। बैठक में किसानों ने 26 जनवरी को हर घर से एक किसान को दिल्ली भेजने का निर्णय लिया।

बैठक में किसानों ने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की एक ट्रैक्टर रैली है, जिसमें उत्तराखंड से करीब दस हजार से भी ज्यादा ट्रैक्टर लेकर किसान दिल्ली पहुंचेंगे। किसानों ने ट्रैक्टर रैली के साथ भारत की संस्कृति से जुड़ी विभिन्न झांकियां भी निकाली जाएंगी।

पूर्व विधायक प्रेमानंद महाजन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए काले कानून के खिलाफ लगातार शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांग मानने को तैयार नहीं हैं। इसलिए 26 जनवरी को किसानों का दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।

रिपोर्टर – डीके सरकार

किसान आंदोलनः सुप्रीम कोर्ट आदेश देगा तो नहीं निकलेगी ट्रैक्टर रैली- राकेश टिकैत

नई दिल्ली। दिल्ली के विज्ञानभवन में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता जारी है। किसान के तीनों कानूनों की वापसी के मांग पर किसान लगातार अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि 26 जनवरी को टैक्टर रैली निकालेंगे। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट आदेश देता है तो किसान गणतंत्र दिवस पर इस रैली को वापस ले लेंगे और इसका आयोजन किसी और दिन किया जायेगा।

टिकैत ने पहले कहा था कि किसान लाल किले से इंडिया गेट तक जुलूस निकालेंगे और गणतंत्र दिवस पर अमर जवान ज्योति पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। इस दौरान बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। सरकार को तीन कानूनों को रद करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने की योजना तैयार करने की जरूरत है। टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित समिति के बजाय सरकार के साथ बातचीत करना बेहतर है।

गौरतलब है कि किसान 26 नवंबर से ही दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। गतिरोध को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक आठ दौर की वार्ता हो चुकी है। आज नौवें दौर की वार्ता हो रही है। अभी तक कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी है। 8 जनवरी को, आठवें दौर की बैठक हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को सुनवाई के दौरान तीनों कानूनों को अगले आदेश तक लागू करने पर रोक लगा दी थी और गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय पैनल नियुक्त किया था। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने गुरुवार को शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति से खुद को अलग कर लिया था।

किसान और सरकार की नौवें दौर की कल होगी वार्ता, कमेटी से एक सदस्य ने खुद को किया अलग

नई दिल्ली। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि सरकार 15 जनवरी को खुलकर किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है। बता दें कि किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट की दखलंदाजी के बाद इस बार किसानों की साथ होने वाली सरकार की ये वार्ता कई मायनों में खास होगी।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार की किसान नेताओं के साथ नौवें दौर की बातचीत शुक्रवार को होने वाली है और केंद्र सकारात्मक चर्चा को लेकर आशान्वित है। तोमर ने कहा कि सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच बातचीत 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे से होगी। किसान और सरकार के बीच यह नौवें दौर की वार्ता होगी। इसके पहले सरकार और किसान नेताओं के बीच आठ जनवरी को वार्ता हुई थी।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई हुई है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए एक कमेटी का गठन भी किया हुआ है, जो कि सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और इसके बाद यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी।

कमेटी से एक सदस्य ने खुद को किया अलग

वहीं, कृषि सुधार कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के मेंबर और भाकियू के प्रधान भूपेंद्र सिंह मान ने कमेटी की सदस्यता छोड़ दी है। उन्होंने एक नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद किया कि उन्हें कमेटी में शामिल किया गया, जिसने किसानों और केंद्र सरकार के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर बातचीत करके रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी थी। वह केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति में उन्हें नामित करने के लिए आभार व्यक्त करते हैं, लेकिन वह किसान हितों से कतई समझौता नहीं कर सकते। वह इस कमेटी से हट रहे हैं और हमेशा पंजाब व किसानों के साथ खड़े हैं।

गौरतलब है कि हजारों किसान जो मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, कई हफ्तों से दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये सभी प्रदर्शनकारी किसान सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। किसानों का मानना है कि इन नए कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली कमजोर हो जाएगी।

किसान आंदोलनः क्या 9वें दौर की बातचीत में सुलझेगा किसानों का मुद्दा? शो में हुई जमकर बहस-बाजी

सरकार और कृषि बिल के खिलाफ किसान आंदोलन लगातार विशाल रूप लेता जा रहा है। कहीं ट्रैक्टर रैली निकाली जा रही है तो कहीं 26 जनवरी को निकाले जाने वाली ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल की जा रही है। जिसके लिए घर-घर जाकर लोगों को जागरुक करने का काम भी किया जा रहा है और आज की रैली के लिए महिलाओं का बड़ा जत्था भी ट्रैक्टर पर सवार होकर टिकरी बॉर्डर पहुंचा। वहीं रैली को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार 133 करोड़ लोगों की आवाज सुने बिना विभिन्न षड्यंत्रों को अपना रही है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए किसान संगठनों के साथ बातचीत चल रही है और दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री कह रहे हैं कि देश के किसान संगठन कृषि कानूनों के पक्ष में हैं। ये सरकार का दो तरफा रूप दर्शाता है, तो वहीं इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम सरकार को चेतावनी देने के लिए यह रैली निकाल रहे हैं। हम मई, 2024 तक आंदोलन के लिए तैयार हैं।

आज इसी मुद्दे पर खास चर्चा देखिए पल्लवी रविंद्र सिंह के साथ

https://youtu.be/-QAeQ_TZTKE