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पेट्रोल ‘GST’ में शामिल हुआ तो क्या होगा

सत्ता में आने के बाद सरकार सबसे पहला काम राज्यों की फाइनेंशियल ऑटोनोमी में कटौती करने का काम कर सकती है.

देश में लोकसभा चुनाव खत्म होने बाले में और अब लोगों को इंतजार है की इस बार देश की सत्ता के सिंहासन पर कौन बैठेगा जिसका इंतजार अब 4 जून को खत्म हो जाएगा लेकिन देश में अगर फिर से बीजेपी सरकार आई तो कई बड़े बदलाव भी होंगे जिसकी प्लानिंग बीजेपी अपने दूसरे कार्यकाल से कर रही है पर अभी वो बदलाव कर नहीं पाई

सूत्रों की माने तो बीजेपी सबसे पहला पट्रोल डीजल पर जीएसटी के दायरे में ला सकती है …

सत्ता में आने के बाद सरकार सबसे पहला काम राज्यों की फाइनेंशियल ऑटोनोमी में कटौती करने का काम कर सकती है. मतलब केंद्र कुछ ऐसे फैसले ले सकती है, जिससे राज्यों के रेवेन्यू पर असर पड़ सकता है. इसके लिए सबसे बड़ा कदम पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाना हो सकता है. इसकी मांग लंबे समय से की जा रही है और इस बार सरकार के 100 दिन के एजेंडे में इसे भी शामिल माना जा रहा है. ….

राज्यों के पास फिलहाल राजस्व का सबसे प्रमुख स्रोत है पेट्रोलियम पदार्थों है अगर बीजेपी सरकार तीसरे तीसरे कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला करती है, तो फिर राज्यों को राजस्व में कमी देखने को मिल सकती है.

अगर पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो फिर पेट्रोल-डीजल के दाम मौजूदा कीमत से काफी कम हो सकते हैं. यानी इस फैसले से राज्य की, कमाई पर असर देखने को मिल सकता है.

ऐसा नहीं है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से सिर्फ राज्यों की कमाई पर असर पड़ेगा, बल्कि केंद्र की आय भी प्रभावित होगी. Petrol-Diesel Price पर टैक्स के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों की कमाई का बड़ा जरिया है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ा हिस्सा टैक्स का होता है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के खजाने में ही जाता है. इसे जानने के लिए ये कैलकुलेशन समझना बेहद जरूरी है कि पेट्रोल-डीजल पर आप कितना टैक्स दे रहे हैं

 

अब प क ये भी बता देते है की  एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकार आपसे कितना टैक्स वसूलती हैं. उदाहरण के तौर पर देखें तो 23 मई 2023 दिल्ली में एक.लीटर पेट्रोल भरवाने के लिए 94.72 रुपये खर्च करने पड़ रहे थे. इसमें 35 रुपये के आस-पास टैक्स शामिल होता है, जिसमें करीब 20 रुपये केंद्र सरकार के खजाने, में पहुंचता है और लगभग 15 रुपये राज्य सरकार के पास पहुंचता है

 

केंद्र को जहां एक्साइज ड्यूटी के जरिए कमाई होती है. पेट्रोल-डीजल के दाम राज्यों में अलग-अलग होते हैं और ये इसलिए क्योंकि राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से वैट लगाकर कमाई करती हैं. जैसे आंध्र प्रदेश में 31%, कर्नाटक में 25.92%, महाराष्ट्र में 25% और झारखंड में पेट्रोल पर 22% के करीब वैट वसूला जाता है. वहीं डीजल की बात करें तो इस पर आंध्र प्रदेश में 22%, छत्तीसगढ़ में 23%, झारखंड में 22% और महाराष्ट्र में 21% वैट लगता है. इसी तरह अन्य राज्यों में भी  वसूली की जाती है और सरकारों की कमाई होती है.  इस हिसाब से देखें तो वर्तमान में पेट्रोल और डीजल पर सरकारें 60 फीसदी से भी ज्यादा टैक्स वसूलती हैं. ऐसे में अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो इस भारी-भरकम टैक्स की छुट्टी हो जाएगी और जीएसटी के हिसाब से टैक्स लगाया जाएगा और सरकार अधिकतम 28 फीसदी की दर से टैक्स ही लगा पाएगी. यानी टैक्स घटेगा और पेट्रोल-डीजल के दाम एक दम से काफी कम हो जाएंगे. वहीं दूसरी ओर पूरी बाजी केंद्र सरकार के हाथ में होगी.

देश भर में शुक्रवार (24 मई) को पेट्रोल-डीजल के नए दाम जारी कर दिए गए हैं.

राजधानी दिल्ली में आज पेट्रोल के दाम 94.72 रुपये, तो वहीं डीजल के दम 87.62 रुपये प्रति लीटर हैं.
मुंबई में पेट्रोल की कीमत 104.21 रुपये और डीजल की कीमत 92.15 रुपये प्रति लीटर है.
कोलकाता में पेट्रोल की कीमत 103.94 रुपये और डीजल की कीमत 90.76 रुपये प्रति लीटर है.
चेन्नई में पेट्रोल की कीमत 100.75 रुपये, तो वहीं डीजल की कीमत 92.34 रुपये प्रति लीटर है.

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