यूएन मानवाधिकार पर भड़की भारत सरकार, कहा – हमारे देश की न्यायिक प्रणाली में न करें दखलअंदाजी…
तीन दिन पहले गुजरात दंगे में मोदी सरकार के खिलाफ झूठे प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार की गई सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की टिप्पणी...
DESK : तीन दिन पहले गुजरात दंगे में मोदी सरकार के खिलाफ झूठे प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार की गई सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की टिप्पणी भारत सरकार को नागवार गुजरी है। भारत सरकार ने सख्ती नाराजगी जताते हुए कहा है कि वह भारत की न्यायिक प्रणाली में किसी प्रकार की दखल न दे।
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जिस तरह से तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार आयोग ने आपत्ति जाहिर करते हुए उन्हें रिहा करने की मांग की, उसको लेकर भारत सरकार की विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि ओएचसीएचआर की ये टिप्पणीदेश की स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली में दखल का काम करती है।
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ओएचसीएचआर के इस ट्वीट पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हमने तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय का बयान देखा। बागची ने कहा कि भारत सरकार कानून का उल्लंघन होने पर स्थापित नियम प्रक्रियाओं के तहत ही कार्रवाई करती है.ऐसी कानूनी कार्रवाइयों को उत्पीड़न बताना भ्रामक और अस्वीकार्य है। इस दौरान तीस्ता को रिहा करने की मांग को भी खारिज कर दिया गया है।
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दरअसल, यूएन मानवाधिकार ने तीस्ता और दो अन्य पूर्व पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी पर चिंता जताते हुए उन्हें तुरंत रिहा किए जाने को कहा था।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा था, भारत मेंहम सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य पूर्व पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी को लेकर बहुत चिंतित हैं और उनकी तुरंत रिहाई की मांग करते हैं. 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों का साथ देने और अपनाकाम करने के लिए उनका उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगे मामले में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी। यह याचिका गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने दायर की थी।
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अदालत ने फैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और दो अन्य पूर्व पुलिस अधिकारी आर बी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ मामला दर्ज किया था। गुजरात पुलिस ने उन्हें अदालत के समक्ष झूठे सबूत पेश करने, आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया है