आईसीएआर की एनएमएसएचई टीम लेह में कृषि संबंधी वैज्ञानिक जानकारी का प्रसार करने के लिए पुरस्कृत
दल ने कुल 38 प्रशिक्षण कार्यक्रमों ,कार्यशालाओं और एक किसान मेले का किया आयोजन
नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों की एक टीम को खेती करने के तरीकों को प्रयोगशाला से खेत तक ले जाने संबंधी जानकारी का प्रसार करने में उत्कृष्टता प्रदर्शित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि पत्रिका एग्रीकल्चर टुडे की ओर से पुरस्कृत किया गया है।
उनके काम को यह मान्यता इसलिए दी गई है कि इससे लेह जैसे दूर दराज़ के क्षेत्रों में जीविकोपार्जन की स्थिति के साथ-साथ उत्पादन व्यवस्था में काफी सुधार आया है।
नेशनल मिशन ऑन सस्टेनिंग हिमालयन ईकोसिस्टम (एनएमएसएचई) के तहत हिमालय क्षेत्र में कृषि संबंधी कार्यबल के समन्वयक डॉ अरुणाचलम और सह अनुसंधानकर्ता डॉ एम रघुवंशी के नेतृत्व में इस दल ने पाया कि लेह मॉडल नई फसलों और किस्मों के आकलन के साथ किसानों को खेती करने के और खर पतवार का प्रबंधन करने के श्रेष्ठ तरीके मुहैया करा रहा है।
इस दल में एसोसिएट साइंटिस्ट डॉ. अनुराग सक्सेना और तकनीकी सहायता स्टॉफ के रूप में शान्जिन लैंदोल ,डॉ. इनॉक स्पालबर और जिगमत स्टेनज़िन भी शामिल थे। दल ने कुल 38 प्रशिक्षण कार्यक्रमों ,कार्यशालाओं और एक किसान मेले का आयोजन किया, जिसमें किसानों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एनएमएसएचई कार्यक्रम की सहायता से लेह क्षेत्र में टिकाऊ और मौसम के अनुकूल खेती करने बारे में उपलब्ध वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की गई।
एनएमएसएचई के तहत हिमालय क्षेत्र के कृषि संबंधी कार्यबल ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के अंग रूप में छह कारकों–डाटाबेस का विकास , निगरानी , संवेदनशीलता आंकलन ,अनुकूलता शोध , पायलट अध्ययन पर काम किया और क्षमता निर्माण तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया।
हिमालयी क्षेत्र में कृषि कार्यबल के सदस्यों ने एनएमएसएचई के तहत किसानों तक जानकारी के प्रसार, उनके क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के लिए जो काम किया उससे लेह क्षेत्र के लोगों की जीविकोपार्जन क्षमता में वृद्धि होने के साथ साथ उनकी उत्पादन व्यवस्था में काफी सुधार आया है।
एग्रिकल्चर टुडे ग्रुप द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित अवार्ड सेरेमनी फॉर एग्रीकल्चर एक्सटेंशन के दौरान यह पुरस्कार वर्तमान में आईसीओआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ सोयल सर्वे एंड लैंड यूज़ प्लानिंग में कार्यरत मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एम रघुवंशी ने ग्रहण किया।