DESK: राष्ट्रीय स्वंमसेवक संघ से सम्बद्ध संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने बयान जारी कर वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की रैंकिंग पर सवाल उठाये। जागरण मंच ने भारत की रैंकिंग को शरारती और भटकाने वाला बताया। सिडनी युनिवर्सिटी के समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर ने भी ऑस्ट्रेलियन टुडे में प्रकाशित बयान में रैकिंग में गलत मानक का हवाला दिया।
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प्रोफेसर डॉक्टर सैल्वेटोर बेबोन्स ने तर्क दिया कि भारत में कद के अनुरूप कम वजन वाले बच्चों की संख्या में तेज उछाल वेसटिंग डाटा कहलाता है। जोकि इस सूचकांक में गलत तथ्य पर आधारित है। हाल ही में रिलीज हुयी ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत छह पायदान नीचे खिसक कर 107 पर आ गया है।
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बेबोन्स ने ऑस्ट्रेलियन टुडे को दिये बयान में कहा भारत में कई बच्चों का वजन कद के अनुरूप कम हो सकता है, परन्तु यह कुपोषण नहीं है। इसका कारण भारत में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले शाकाहार की ज्यादा खपत हो सकता है। भारतीय चिकित्सक अनुसंधान (आईसीएमआर) ने भी डॉक्टर बेबोन्स की बात की समर्थन किया है। आईसीएमआर ने कहा है कि वह भूख को अर्धपोषण, बच्चों में विकास का रुकना, कम वजन के आधार पर नहीं मापती और बच्चों की मौत की दर की बढ़ना सिर्फ भूख के कारण नहीं है।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वदेशी जागरण मंच ने अपने बयान में कहा कि 2022 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग गैरजिम्मेदाराना है। मंच ने सूचकांक पर सवाल उठाते हुये केन्द्र सरकार से इसे जारी करने वाली संस्था पर कार्यवाही करने की मांग करी है। भारत सरकार ने साल 2021 की रैंकिंग पर भी सवाल उठाये थे। 2021 हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 101 थी।