Category Archives: छत्तीसगढ़

अंधी सरकार, बहरे अधिकरी जीवन दाता नाम से जाने वाले दलाल डाक्टर के काले कारनाम|

छत्तीसगढ़ की अंधी सरकार, बहरे अधिकरी जीवन दाता नाम से जाने वाले दलाल डाक्टर के काले कारनामों के चलते आज 16 वर्षीय विकलांग शिवम सिंह चंदेल शासकीय योजनाओं के लाभ पाने से है वंचित।जी हा जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोसा से सामने निकल के आया है जहा जांजगीर-चांपा जिले के एक डाक्टर ने 16 वर्षीय मासूम विकलांग शिवम चंदेल को बिना चेकअप किए ही 80% पागल घोषित कर दिया है जिसके चलते इस मासूम से लड़के को शासकीय योजना के तहत किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिल पा रहा, यह बच्चा पढ़ने लिखने में बहुत ही माहिर हैं किसी व्यक्ति से आम व्यक्ति की तरह अच्छे से बात कर पाता है बस इसकी एक ही कमजोरी है यह विकलांग होने के कारण चल नहीं पाता जिसे जांजगीर-चांपा जिले के किसी एक डॉक्टर ने 80% पागल घोषित कर दिया जिसके चलते निस्सहाय विकलांग शिवम सिंह चंदेल शासकीय योजना के लाभ लेने के लिए दर-दर भटक रहा है।

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विकलांग मासूम सा लड़का शिवम सिंह चंदेल को पढ़ाई का बहुत शौक है जिससे वे दिन भर किताबों की दुनिया में डूबे रहते है और वे अपने उम्र के बच्चों से अधिक जानकार और समझदार भी हैं, शिवम सिंह चंदेल रोजाना स्कूल जाकर पढ़ना चाहता परंतु उसे शासकीय योजना के तहत विकलांग साइकल नहीं मिलने से शिवम सिंह चंदेल स्कूल नहीं जा पाता और अच्छी शिक्षा से हमेशा वंचित रहता है। जिसका कारण डॉक्टर के द्वारा फर्जी तरीके से शिवम सिंह के नाम 80% पागल सर्टिफिकेट बना कर देना है। जिसके चलते शिवम सिंह को स्कूल के टीचर द्वारा भी सही शिक्षा भी नहीं दी जाती और उसे बच्चे व शिक्षक भी पागलों की नजरों से देखते हैं जिससे शिवम सिह चंदेल काफी असंतुष्ट और दुखी नजर आ रहे हैं।

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एक तरफ वह 16 वर्षीय विकलांग मासूम सा लड़का अपनी कमियों को छुपा कर शासकीय योजनाओं के लाभ के अभाव में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर अपने व अपने बूढ़े मां बाप का सहारा बनना चाहता है तो दूसरी तरफ जांजगीर-चांपा जिले के अधिकारी दालाल अधिकारी इस मासूम की बातों को नजरअंदाज करते हुए आ रहे हैं जिसके चलते यह मासूम सा लड़का शासकीय योजनाओं के लाभ पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है तो वही उस मासूम से बच्चे के गरीब बूढ़े मां बाप की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वे लोग दाने दाने के लिए खाने का मोहताज बन चुके हैं वे हर रोज कमाते है और हर रोज खाते जिस दिन इस गरीब बूढ़े मां बाप की मजदूरी नहीं लगती उस दिन इनके बच्चे और वे खुद भूखे सोते हैं ऐसे गरीब परिवार को भी आज आजादी के 74 साल बाद भी सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

 एक तरफ तो भारत के प्रधानमंत्री ने चुनाव के समय गरीब आम जनता को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान निर्माण कराने के बड़े-बड़े दावे किए थे, गरीबों को घर दिलाने का वादा किया था लेकिन आज उनके दावे जांजगीर-चांपा जिले के कोसा गांव में धरे के धरे नजर आ रहे हैं क्योंकि इस मासूम से छोटे बच्चे और उसके बूढ़े मां बाप ना तो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ मिला है और ना ही इस विकलांग मासूम बच्चे को आने जाने के लिए किसी भी प्रकार का साधन दिया गया है उल्टा जांजगीर-चांपा जिले के दलाल अधिकारी इस मासूम से बच्चे को बिना किसी चेकअप किए 80% फर्जी तरीके से पागल घोषित कर दिया जिसके चलते मासूम विकलांग शिवम सिंह चंदेल का भविष्य आज डूबते हुए नजर आ रहा हैं साथ ही साथ उसके बूढ़े मां बाप की एक नई उम्मीद भी जांजगीर-चांपा जिले के लापरवाह अधिकारियों के चलते डूबते हुए नजर आ रहा है।
शिवम सिंह चंदेल व उसके बूढ़े मां बाप एवं बहन की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है जिसे देखकर लोगों की आंखों में पानी भर आते हैं जब लोग इनके परिवार के दयनीय स्थिति के बारे में सुनते हैं तो भारत का संविधान उनके नजरों में डगमगाता हुआ नजर आता है क्योंकि जांजगीर-चांपा जिले में ऐसे दलाल अधिकारी बैठे हैं जो ना तो भारत के संविधान को मानता है और ना ही उनके नियमों को, तभी तो आज 16 वर्ष बीतने को हैं एक मासूम से विकलांग लड़के को शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है जब इस मामले की खबर मीडिया को हुई तो मीडिया ने मासूम बच्चे शिवम सिंह चंदेल और उसके बूढ़े मां बाप से बात की तो मीडिया के सामने अपने बेटे की स्थिति और उसके साथ हुए प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के बातों को बताते हुए बूढ़े मां-बाप की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वे मीडिया के सामने अपने छोटे से मासूम बच्चे के सुनहरे भविष्य के लिए रोते हुए मीडिया के माध्यम से प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हैं।

अब देखना यह होगा कि खबर चलने के बाद जांजगीर-चांपा जिले के अधिकारी इस मासूम से बच्चे के विषय में क्या शुद्ध लेते हैं और ऐसे लापरवाह डॉक्टर के ऊपर किस प्रकार से अंकुश लगाते हुए क्या बड़ी कार्यवाही करते हैं और उस मासूम से लड़के शिवम सिंह चंदेल को शासकीय योजना का लाभ दिलाएंगे या फिर इन सभी बातों को नजरअंदाज करके शिवम सिंह चंदेल के बढ़ते हौसलें को जांजगीर-चांपा जिले के दलाल अधिकारी यूं ही गला घोट कर उस गरीब मासूम से बच्चे व उसके बूढ़े मां बाप को ऐसे ही मरने के लिए छोड़ देंगे सवाल तो एक छोटे से स्कूल के शिक्षक व अधिकरी से लेकर बड़े-बड़े नेताओं के ऊपर खड़े हो रहे हैं चाहे वह राज्य के कांग्रेस सरकार के नेता हो या फिर केंद्र पर बैठी भाजपा सरकार के नेता हो सवाल तो दोनों सरकारों के ऊपर खड़े हो रहे है और उंगली भी दोनों झूठे दावे करने वाले सरकारों के ऊपर भी उठाए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ स्टेट हेड पप्पू यादव की खास रिपोर्ट।

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने सात राज्यों में बनाए प्रदेश अध्यक्ष

लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने गुरुवार को देश के सात प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है। लोजपा प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने बताया की प्रिंस राज को एक बार फिर से बिहार की कमान सौंपी गई है। वहीं विकास रंजन उर्फ पप्पू सिंह को झारखंड, ललित नारायण चौधरी को  उत्तर प्रदेश, रवि गरूड़ को महाराष्ट्र का लोजपा अध्यक्ष बनााया गया है। इसी तरह डा. वीरेन्द्र कुमार वैंग को उड़ीसा, रूपमकर को त्रिपुरा का लोजपा प्रेसिडेंट बनाया गया है। वहीं अमित नरेश राठी को दादर नागर हवेली एण्ड दमन दीव के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है।

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पार्टी प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने बताया कि इसके अतिरिक्त पशुपति कुमार पारस ने प्रकाश सिंह को लोजपा का राष्ट्रीय सचिव मनोनित किया है। पारस ने सभी नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्षों को यह भी निर्देश दिया है कि अतिशीघ्र राज्य कमिटि एवं जिला कमिटि का गठन कर केन्द्रीय कार्यालय को सूची समर्पित करें। इन सभी अध्यक्षों के मनोनयन पर लोजपा के राष्ट्रीय नेता रामजी सिंह, विरेश्वर सिंह, ललन सिंह, अम्बिका प्रसाद बिनू, संजय सर्राफ, महताब आलम, केशव सिंह, एल.के. लजोरा, जिया लाल, एलविन जोसेफ, सहित केन्द्रीय नेताओं ने पारस के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इन सभी अध्यक्षों के मनोनयन से लोजपा का व्यापक विस्तार होगा।

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इसके पहले केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और लोजपा संसदीय दल के नेता पशुपति कुमार पारस ने बुधवार को दिल्ली स्थित अपने आवास पर विभिन्न राज्यों से आए पार्टी नेताओं से मिले और संगठन का विस्तार यथाशीघ्र करने का भरोसा दिया था। पशुपति कुमार पारस ने बुधवार को महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ और झारखंड के नेताओं से बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने संगठन विस्तार पर भी नेताओं से चर्चा की थी।

 

एक्टिंग नहीं नग्नता फूहड़ता बेशर्मी है

एक्टिंग नहीं नग्नता फूहड़ता बेशर्मी है
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कहते हैं कि प्राचीन काल में एक वैश्या का नाच देखने के लिए लोग उसके खास मकान(कोठे) पर जाया करते थे। तो वो वैश्या देखने वालों को अपनी मनमोहक नृत्य शैली और कुछ अपनी फ़ूहड़ नग्नता भरी अदाओं से वाह वाही लूटती थीं। यदि उस वैश्या से पूछा जाता कि वो ये काम क्यों करती हैं ? तो 100 में से 99.99 का ये जवाब होता कि मजबूरी है। मैं मजबूर हूं अपने ये नाचने का काम नहीं करती हूं। वो मजबूरी अगर पता लगाने की कोशिश की जाती हैं तो हर किसी की एक अपनी दिल को दहलाने वाली कहानी होती थी।
परंतु आज क्या हो गया है, हमारी युवा पीढ़ी को? पता नहीं में बात कर रह हूं उन कुछ Tik Tok, Instagram, Reels, Snack Vedio, Niki, Moj वाली लड़कियों की…. जी हां मुझको पता है कि बहुत से लोगों को मेरी बात बहुत ही बुरी लग रही होगी। पर इस बात पर विचार करना भी आवश्यक है। कहना चाहूंगा उन लोगों से कि बहन बेटियो महिलाओ से, जरा अपने दिमाग पे ज़ोर डालो और सोचो कि हमारे आस पास कितनी निर्लज्जता है? क्या ये TikTok, instagram, Moj, Like, Reels सहित इस जैसे दूसरे अनेक ऐप्स इसके लिए जिम्मेदार है? यह हमारी भारतीय संस्कृति, पारिवारिक मर्यादा का उपहास है और सनातन संस्कृति का अपमान भी।

यदि बनाना ही है तो ऐसे वीडियो बनाओ जिससे हमारी युवा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को कुछ अच्छा सीखने को मिले जैसे कि विज्ञान से संबंधित, सामाजिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक वीडियो बनाओ। उसमे भी अपनी संस्कृति और मर्यादा तथा पहनावे का ध्यान रखें ll निवेदन है कि माता पिता अपने लड़के लड़कियों की देख रेख अच्छे से करें, उनको कुछ अच्छा बनाये ना कि नचनिया। ये नचनिया हीरोइन बनने के चक्कर में सबकुछ लुटा रही हैं।

#दुनिया जिसे जानतीहैभोजपुरीकेशेक्सपियरके रूप मेंआज भीउसकेपरिजनबनेहुएहैं_भिखारीठाकुर

#पुण्यतिथिपरविशेष
#दुनियाजिसेजानतीहैभोजपुरीकेशेक्सपियरकेरूपमेंआजभीउसकेपरिजनबनेहुएहैं_भिखारी
भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के नाम पर हजारों लोग अमीर बन गए आज भी भिखारी ठाकुर के परिजन फटेहाल स्थिति में किसी तरह अपना गुजर-बसर कर रहे हैं उनकी सुध लेने की फुर्सत ना राज्य सरकार को है और ना ही उन संस्थाओं को जो भिखारी ठाकुर के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों के अनुदान प्राप्त करते हैं.

लोक संस्कृति के वाहक कवि व भोजपुरी के शेक्सपियर माने जाने वाले भिखारी ठाकुर का जयंती 18 दिसंबर को मनाई जाती है ।लेकिन क्या कोई यकीन कर सकता है कि भक्तिकालीन भक्त कवियों व रीत कालीन कवियों के संधि स्थल पर कैथी लिपि में कलम चलाकर फिर रामलीला, कृष्णलीला, विदेशिया, बेटी-बेचवा, गबरघिचोरहा, गीति नाट्य को अभिनीत करने वाले लोक कवि भोजपुरी के शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर के परिवार चीथड़ो में जी रहा हो। देश ही नहीं विदेशों में भोजपुरी के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करने वाले मल्लिक जी के परिवार गरीबी का दंश झेल रहा है। यह सच है कि उनके जयंति व पुण्यतिथि पर कुछ गणमान्य पहुंचते हैं, कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, लेकिन यह सब मात्र श्रद्धांजलि की औपचारिकता तक सिमट कर रह जाते हैं। न तो ऐसे किसी आयोजन में भिखरी ठाकुर के गांववासियों का दर्द सुना जाता है न ही उनके दर्द की दवा की प्रबंध की बात होती है।कुतुबपुर दियारा स्थित मल्लिक जी का खपरैल व छप्पर निर्मित जीर्ण-शीर्ण घर आज भी अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है? यही से भिखारी ठाकुर ने काव्य सरिता प्रवाहित की थी और उनकी प्रसिद्धि की गूंज आज भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर सुनाई पड़ रही है।
भिखारी ठाकुर के प्रपौत्र सुशील आज भी अदद चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए भटक रहा,कोई सुधी तक नहीं लेने वाला.भिखारी ठाकुर के प्रपौत्र सुशील कुमार आज एक अदद चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए मारा-मारा फिर रहा है। दर्द भरी जुबान से सुशील बतातें हैं कि अगर फुआ और फुफा नहीं रहते तो शायद मैं एमए तक पढ़ाई नहीं कर पाता। रोटी की लड़ाई में मेरी पढ़ाई नेपथ्य में चली गई रहती। समहरणालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नौकरी के लिए वे आवेदन किये हैं। पैनल सूची में नाम भी है, लेकिन एक साल बीत गए, भगवान जाने नौकरी कब मिलेगी। हाल यह है कि विभिन्न कार्यक्रमों में उन्हें एवं उनके परिजन को मंच तक नहीं बुलाया जाता है।जिस दीपक की लौ से समाज में व्याप्त कुरीतियों और सामयिक संमस्याओं को उजागर करने का महती प्रयास भिखारी ठाकुर ने किया उनकी लौ में आज कई लोग रोटियां सेंक रहे हैं, लेकिन दीपक तले अंधेरे की कहावत चरितार्थ है।

दबी जुबान से दिल की बात बाहर आती है कि भिखारी ठाकुर के नाम पर कई लोग वृद्धा पेंशन एवं सुख सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। परिवार को हरेक जरूरत की दरकार है। एक ओर जहां सुशील जीवकोपार्जन के लिए दर-दर भटक रहे हैं वहीं, उनकी पुत्रवधू व सुशील की मां गरीबी का दंश झेल रही है। भिखरी ठाकुर के इकलौते पुत्र शीलानाथा ठाकुर थे। वे भिखारी ठाकुर के नाट्य मंडली व उनके कार्यक्रमों से कोई रूची नहीं थी। उनके तीन पुत्र राजेन्द्र ठाकुर, हीरालाल ठाकुर व दीनदयाल ठाकुर भिखारी की कला को जिन्दा रखे। नाटक मंडली बनाकर जगह-जगह कार्यक्रम करने लगे। लेकिन इसी बीच उनके बाबू जी गुजर गये। फिर पेट की आग तले वह संस्कार दब गई।अब तो राजेन्द्र ठाकुर भी नहीं रहे। फिलवक्त भिखारी ठाकुर के परिवार में उनके प्रपौत्र सुशील ठाकुर, राकेश ठाकुर, मुन्ना ठाकुर एवं इनकी पत्नी रहती है। जीर्ण-शीर्ण हालात में किसी तरह सत्ता व सरकार को कोसते जिंदगी जिये जा रहे हैं उनके परिजन.लोक साहित्य व संस्कृति के पुरोधा, भोजपुरी के शेक्सपीयर के गांव कुतुबपुर काश, स्थानीय सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री रहे राजीव प्रताप रूढी के सांसद ग्राम योजना के तहत गोद में होता तो शायद पुरोधा के गांव को तारणहार की प्रतिक्षा नहीं होती। गंगा नदी नाव से उस पर छपरा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित कुतुबपुर गांव आज भी अंधेरे तले है। कार्यक्रमों की रोशनी व राजनेताओं का आश्वासन उस गांव को रोशन नहीं कर सका। शायद श्रद्धांजलि सभा और सांस्कृतिक समारोह भी कुछ लोगों तक सीमट कर है। वरन्, सरकार दो फूल चढ़ाने में भी भिखारी ही रहा है। आस-पास दर्जनों गांव, हजारों की बस्ती, तीन पंचायतों में एक मात्र अपग्रेड हाईस्कूल। वह भी प्राथमिक विद्यालय से अपग्रेड हुआ है।

प्रारंभिक शिक्षक और पढ़ाई हाईस्कूल तक। आगे की पढ़ाई के लिए नदी इस पर आना होता है। कुछ बच्चे तो आ जाते हैं, बच्चियां कहाँ जाये। कुतुबपुर से सटे कोट्वापट्टी रामपुर, रायपुरा, बिंदगोवा व बड़हरा महाजी अन्य पंचायतें हैं। लोगों की जीविका का मुख्य आधार कृषि है। अब नदी इनके खेतों को निगलने लगी है। 75 फीसद भूमिखंड में सरयू, गंगा नदी का राग है। टापू सदृश गांव है। 2010 से निर्माणाधीन छपरा आरा पुल से कुछ उम्मीद जगी है, लेकिन फिलहाल नाव से आने-जाने की व्यवस्था है। अस्पताल है ही नहीं। बाढ़ की तबाही अलग से झेलना पड़ता है। प्रत्येक साल किसानों को परवल की खेती में बाढ़ आने पर लाखों-करोड़ों रूपयों का घाटा सहना पड़ता है। सुविधा के नाम पर इस गांव में पक्की सड़क तक नहीं है।छपरा- लोक कलाकार भिखारी ठाकुर जो समाज के न्यूनतम नाई वर्ग में पैदा हुए थे, वे अपनी नाटकों, गीतों एवं अन्य कला माध्यमों से समाज के हाशिये पर रहने वाले आम लोगों की व्यथा कथा का वर्णन किया है। अपनी प्रसिद्ध रचना विदेशिया में जिस नारी की विरह वर्णन एवं सामाजिक प्रताड़ना का उन्होंने सजीव चित्रण किया है। वही नारी आज साहित्यकारों एवं समाज विज्ञानियों के लिए स्त्री-विमर्श के रूप में चिन्तन एवं अध्यन का केन्द्र-बिन्दु बनी हुई है। भिखारी ठाकुर ने अपने नाटकों के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों, विषमता, भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। इस तरह उन्होंने देश के विशाल भेजपुरी क्षेत्र में नवजागरण का संदेश फैलाया।

बेमेल-विवाह, नशापान, स्त्रियों का शोषण एवं दमन, संयुक्त परिवार के विघटन एवं गरीबी के खिलाफ वे जीवनपर्यन्त विभिन्न कला माध्यमों के द्वारा संघर्ष करते रहे। यही कारण है कि इस महान कलाकार की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। कभी महापंडित राहुल सांकृत्यायन के जिन्हें साहित्य का अनगढ़ हीरा एवं भोजपुरी का शेक्सपीयर कहा था उस भिखारी ठाकुर का जन्म सरण जिले के छपरा जिले के सदर प्रखंड के कुतुबपुर दियारा में 18 दिसंबर 1887 को हुआ को हुआ था। उनके पिता का नाम दलश्रृंगार ठाकुर एवं माता का नाम शिवकली देवी था। भिखारी ठाकुर निरक्षर थे, परंतु उनकी साहित्य-साधना बेमिसाल थी। रोजी-रोटी कमने के लिए वे पश्चिम बंगाल के मेदनीपुर नामक स्थान पर गये जहां बंगाल के जातरा पाटियों के द्वारा किये जा रहे रामलीला के मंचन से वे काफी प्रभावित हुए, और उससे प्रेरणा पाकर उन्होंने नाच पार्टी का गठन किया।लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के समस्त साहित्य का संकलन अब तक पूरा नहीं हो सका है। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना के पूर्व निदेशक प्रो0 डॉ0 वीरेन्द्र नारायण यादव के प्रयास से परिषद ने रचनाओं का एक संकलन भिखारी ठाकुर ग्रंथावली के नाम से प्रकाशित किया है, परंतु अभी भी उनके लिए बहुत कुछ किये जाना बाकी है। विभिन्न विश्वविद्यालयों में उनपर शोध-कार्य चल रहे हैं। कई पुस्तकें भी उनसे प्रकाशित हुई है।

अनूप नारायण सिंह

#छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन ठगी के मामले #जांजगीर-चांपा (पामगढ़) :- नौकरी एक ऐसा लालच जिसके हो रहे हैं बेरोजगार गरीब युवा शिकार लाखों रुपए की ठगी #

छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन ठगी के मामले तो अपनी चरम सीमा पार कर ही चुका था अब ऐसे में नौकरी लगाने के नाम पर झांसा देकर लोगों से लाखों की ठगी करने का मामला अपनी चरम सीमा पार कर रहा है।

जी हां नौकरी एक ऐसा लालच है जिसमें बेरोजगार गरीब घर के युवा सहित उनके परिजन नौकरी करने के लालच में

इतने अंधभक्त हो जाते हैं कि नौकरी लगाने के नाम से फ्रॉड करने वाले दलाल लोगों के झांसे में आकर लाखों रुपए दे जाते हैं और बाद में पछतावा के आंसू रोते हैं।

दरअसल ऐसा ही एक मामला जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ थाना क्षेत्र से निकलकर सामने आया है जहां पामगढ़ क्षेत्र के निवासी परमानंद खरे, संजय बर्मन और दुर्गेश खूंटे के द्वारा कोरबा निवासी कैलाश भट्ट के विरुद्ध में नौकरी लगाने के नाम पर पैसा ठगी करने की मामले में आवेदन दिया गया है जहां पामगढ़ पुलिस द्वारा पार्थी से आवेदन लेकर उन्हें पावती दिया गया है साथ ही साथ उन्हें जांच का आश्वासन भी दिया गया है।

तो वहीं पामगढ़ थाना में रिपोर्ट दर्ज कराने वाले तीनों पार्थी परमानंद खरे, संजय बर्मन, दुर्गेश खूंटे  से मिली जानकारी के अनुसार कोरबा निवासी कैलाश भट्ट द्वारा इनको तरह-तरह के लालच देकर इनसे लगभग तीन लाख रुपए से ज्यादा पैसों की ठगी किया गया है साथ ही साथ इन्हें लगातार नौकरी अब लगेगा तब लगेगा कह कर गुमराह करते हुए काफी दिनों से घुमा रहा था जब पार्थी परमानंद खरे दुर्गेश खुटे और संजय बर्मन को उसके बातों पर शंका हुआ तो उनके द्वारा अपना पैसा वापस मांगा गया तो कैलाश भट्ट द्वारा गोल मटोल जवाब देकर बात को टालते हुए नजर आए इस प्रकार दिन-ब-दिन गुजरते गए और पार्थी व उसके परिवार वाले गरीबी और भुखमरी की किल्लत से जूझते चले गए अंत में गरीबी की किल्लत से परेशान होकर और आरोपी कैलाश भट्ट के गोल मटोल जवाब को सुन-सुन के परेशान होकर तीनों पार्थी ने पामगढ़ थाने में उनके विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाएं और पुलिस प्रशासन से उचित न्याय की गुहार लगाई।

अब देखना यह होगा कि पामगढ़ पुलिस टीम इस मामले को लेकर किस प्रकार से सक्रियता नजर आती हैं और कितनी बारीकी के साथ गंभीर रूप से इस मामले की जांच करती हैं और लाखों रुपए की ठगी करने वाले आरोपी को पकड़कर इनको उचित न्याय दिलाती है सवाल तो बहुत हैं मगर जवाब एक भी नहीं।

छत्तीसगढ़ जांजगीर-चांपा जिले में फिर से बढ़ते हुए नजर आ रहा है चोरी की वारदात, जहा तहसील कार्यालय के कर्मचारी के घर से ही सवा लाख जेवरात के साथ 5,000 हजार नगद पैसा चोरों द्वारा किया गया पार।

 छत्तीसगढ़–जांजगीर-चांपा (पामगढ़)- जांजगीर-चांपा जिले में फिर से बढ़ते हुए नजर आ रहा है चोरी की वारदात, जहा तहसील कार्यालय के कर्मचारी के घर से ही सवा लाख जेवरात के साथ 5,000 हजार नगद पैसा चोरों द्वारा किया गया पार।
जी हां दरअसल पूरा मामला पामगढ़ विधानसभा का है जहां पामगढ़ के सिंचाई कॉलोनी H24 में रहने वाले खोग्रेस्वर प्रसाद टंडन जो कि पामगढ़ तहसील कार्यालय में कर्मचारी है जिसके घर से कुछ अज्ञात  चोरों द्वारा सवा लाख रुपए के जेवरात के साथ 5000 रुपए पैसा चोरी कर लिया गया जिसकी रिपोर्ट पार्थी ने पामगढ़ थाने में किया इस रिपोर्ट के आधार पर पामगढ़ पुलिस टीम मौके पर जाकर पूरे मामले का जायजा लेते हुए पंचनामा तैयार कर चोरी करने वाले आरोपियों कि पता शाही में जुट गई है

 तो वही पार्थी खगेश्वर प्रसाद टंडन ने बताया कि मेरे पत्नी और मै ड्यूटी जाने के लिए लगभग 10:00 बजे घर के दरवाजे पर ताला लटका कर तहसील कार्यालय ड्यूटी पर चले गए फिर उसके बाद तकरीबन पार्थी खगेश्वर प्रसाद टंडन अपने घर वापस बिजली बिल लेने के लिए 4:15 (सवा चार) बजे आया तो उसने देखा कि उसके घर का ताला टूटा हुआ है और घर के सारे सामान बिखरे हुए थे जहा अलमारी खुला हुआ था अलमारी के सारे सामान जमीन पर बिखरे पड़े हुए मिले जब उसने अलमारी को चेक किया तो उसके अलमारी में रखे हुए सवा लाख रूपए का जेवरात और 5,000 रुपए नगद पैसा अज्ञात चोरों के द्वारा चोरी कर लिया गया था जिसकी सूचना पार्थी ने अपने कार्यालय के संबंधित अधिकारी व पामगढ़ थाने में दिया जिसके बाद पामगढ़ पुलिस ने पूरे मामले का पंचनामा तैयार कर मामले की जांच में जुटी हुई है।
अब बड़ा सवाल यही पर खड़ा हो रहा है कि जिस प्रकार से पार्थी खगेश्वर प्रसाद टंडन ने पूरे मामले की जानकारी दी उस हिसाब से इस चोरी की घटना को अंजाम देने वाले चोर, पार्थी खगेश्वर प्रसाद टंडन के परिचित के ही लग रहे हैं क्योंकि इस चोरी की घटना को अंजाम देने वाले ये शातिर चोर खगेश्वर प्रसाद टंडन की पूरी जानकारी रखता था साथ ही साथ उसके घर पर नजर भी रखता था कब वह बाहर जाता और कब घर में रहता था जिसकी पूरी जानकारी इन चोरों को थी जिसके बाद इस पूरे घटना को इन शातिर चोरों के द्वारा अंजाम दिया गया है अब देखना यह होगा पामगढ़ पुलिस इस मामले में कितनी सक्रियता बरते हुए चोरी की इस गुत्थी को सुलझा पाते हैं।
सवाल तो बहुत है मगर जवाब अभी एक भी नहीं।
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छत्तीसगढ़ स्टेट हेड पप्पू यादव की खास रिपोर्ट।

अब तक कोविड-19 रोधी वैक्‍सीन की 34 करोड़ से अधिक डोज लोगों को दी जा चुकी

 देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच टीकाकरण अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि देश में अब तक कोविड-19 रोधी वैक्‍सीन की 34 करोड़ से अधिक डोज लोगों को दी जा चुकी है। राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 18-44 आयु वर्ग के 9,41,03,985 लोगों ने टीके की पहली जबकि 22,73,477 लोगों ने दूसरी खुराक ले ली है।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक शुक्रवार सुबह सात बजे तक कोविड-19 रोधी वैक्‍सीन की 34,00,76,232 खुराक दी जा चुकी है। यही नहीं 42 लाख से अधिक (42,64,123) खुराक बीते 24 घंटे में ही दी गई है। टीकाकरण अभियान के 167वें दिन यानी पहली जुलाई को 32,80,998 लोगों ने वैक्‍सीन की पहली जबकि 9,83,125 लोगों ने टीके की दूसरी खुराक ली।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बतया कि‍ अगले तीन दिन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड-19 रोधी टीकों की 44.9 लाख डोज दी जाएंगी। अभी तक केंद्र सरकार ने कोविड रोधी वैक्‍सीन की 33.63 करोड़ से अधिक खुराक मुफ्त या प्रत्यक्ष राज्य खरीद श्रेणी के जरिए प्रदान की है। मंत्रालय का कहना है कि‍ सरकार पूरे देश में कोविड-19 की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान की गति को तेज करने और इसका दायरा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

टीकाकरण अभियान का नया चरण 21 जून से शुरू हुआ था। सरकार की ओर से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में टीकों की उपलब्धता बढ़ाकर, बेहतर योजना बना एवं वैक्‍सीन आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित कर टीकाकरण अभियान में तेजी लाने की कोशिश की गई है। सरकार ने कोविड-19 के मामले अधिक सामने आने के चलते केरल, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मणिपुर में केंद्रीय टीम भेजी हैं।

मानसून की गतिविधियों में तेजी आठ जुलाई से आने की संभावना,जबकि तेज बारिश 10 के बाद ही हो सकती है

अगले 24 घंटों के दौरान, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। उत्तर पश्चिमी भारत से हीटवेव की स्थिति समाप्त होने की उम्मीद है। पूर्वोत्तर भारत, बिहार, ओडिशा के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, विदर्भ के अलग-अलग हिस्सों, तटीय कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, कोंकण और गोवा, मराठवाड़ा के अलग-अलग हिस्सों और दक्षिण और पूर्वी मध्य प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। दक्षिण गुजरात, मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, आंतरिक कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद और लद्दाख में हल्की बारिश हो सकती है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में धूल भरी आंधी और गरज के साथ छींटे पड़ सकते हैं।

मानसून की गतिविधियों में तेजी आठ जुलाई से आने की संभावना है, जबकि तेज बारिश 10 के बाद ही हो सकती है। मौजूदा समय में क्रॉस इक्वाटोरियल फ्लो कमजोर पड़ गया है, जबकि मानसूनी हवा की दिशा परिवॢतत हो गई है, जिसकी वजह से बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित नहीं हो पा रहा है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग ने अगले दो दिन बूंदाबांदी और बदली छाई रहने की संभावना जताई है।

एक ट्रफ रेखा उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्सों से लेकर बिहार और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल होते हुए पूर्वोत्तर असम तक फैली हुई है। चक्रवाती हवा का क्षेत्र पाकिस्तान और इससे सटे क्षेत्र पर बना हुआ है। एक ट्रफ रेखा विदर्भ से तेलंगाना और आंतरिक तमिलनाडु होते हुए दक्षिणी तमिलनाडु तक फैली हुई है।

 

21 राज्यों में कम केस, आंशिक लॉकडाउन जारी,देश में बीते 24 घंटों में कोरोना के 48 हजार से अधिक मामले

केरल में अचानक बढ़े केस

केरल में अचानक कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। केरल के आंकड़े डरा रहे हैं। यहां बीते दो दिनों से नए केस 13,500 से ज्यादा आ रहे हैं। इससे पहले 21 जून को यह संख्या घटकर 7,449 तक पहुंच गई थी।

इसके साथ ही देश के 21 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे हैं जहां कोरोना के मामलों में गिरावट आई है। इन राज्यों में आंशिक लॉकडाउन है। यहां पाबंदियां के साथ छूट भी है। इनमें बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नगालैंड, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और गुजरात शामिल हैं।

देश के दस राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आ रही है। देश के इन 10 राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, मिजोरम, गोवा और पुडुचेरी शामिल हैं। यहां लॉकडाउन जैसे कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं।

देश में कोरोना महामारी की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार जारी है। देश में अब कोरोना के रोजाना मामले 50 हजार से कम हो चुके हैं तो वहीं मौतों की संख्या भी एक दिन में हजार तक हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के 48,786 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान देश भर में कोरोना संक्रमण के कारण 1005 मरीजों की मौत हुई है।

इसके साथ ही देश में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। कोरोना के सक्रिय मामले भी लगातार कम हो रहे हैं। देश में बीते 24 घंटों में 61588 लोग कोरोना ठीक हुए है। इस तरह एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में भी बीते एक दिन में 13,807 की कमी आई है।

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