उत्तर प्रदेश

लोकसभा के बाद विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी/सपा कितनी मजबूत ?

देश मे लोकसभा चुनाव के बाद अब उप चुनाव होने है जिसमें सबकी नजर उत्तर प्रदेश पर टीकी है क्योंकि यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर विधायक सांसद बन गए

देश मे लोकसभा चुनाव के बाद अब उप चुनाव होने है जिसमें सबकी नजर उत्तर प्रदेश पर टीकी है क्योंकि यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर विधायक सांसद बन गए हैं एक सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी को 7 साल की सजा हुई है, उनकी विधायकी चली जाएगीकरहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, खैर और मीरापुर समेत प्रदेश की कुल 10 विधानसभा सीटों पर 6 महीने के भीतर चुनाव होना है

इसको लेकर बीजेपी और सपा के साथ साथ उनके सहयोगी दलों ने भी अपनी अपनी तैयारी शुरू कर दी है वहीं ये उपचुनाव 2027 विधानसभा चुनाव के नजरिये से बेहद अहम माना जा रहा है दरअसल लोकसभा चुनाव में बीजेपी हो या सपा या फिर कोई अन्य दल सभी ने अपने-अपने मौजूदा विधायकों को सांसदी का चुनाव लड़ने का मौका दिया था। इसमें सबसे प्रमुख सपा मुखिया अखिलेश यादव का नाम भी शामिल है। अखिलेश कहरल सीट से विधायक थे उन्होंने कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की थी। इसके बाद अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सदस्य से इस्तीफा दे दिया था। फैजाबाद से सपा सांसद अवधेश प्रसाद के जीतने से मिल्कीपुर विधानसभा सीट और सपा विधायक लालजी वर्मा के अम्बेडकरनगर से सांसद बनने के बाद कटेहरी सीट पर उपचुनाव होना है

इसके साथ ही संभल सीट से सपा के टिकट पर सांसद बनने के बाद जियाउर्रहमान की कुंदरकी विधानसभा सीट भी खाली हो गई है। साथ ही सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने के बाद सदस्यता जाने के बाद कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होगा। इस तरह कुल 10 सीटों में से 5 सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है जिनपर उपचुनाव होना है इसके अलावा बाकी बची 5 सीटों में से बीजेपी के 3 और निषाद पार्टी व आरएलडी का 1-1 विधायक, सांसद बना है। बीजेपी विधायक अतुल गर्ग गाजियाबाद से सांसद चुने गए हैं, जिसके चलते गाजियाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है

अगर बात करे साल 2022 के विधान सभा चुनाव की तो 2022 चुनाव में भाजपा ने 255, सपा ने 111, अपना दल ने 12, रालोद ने 8, निषाद पार्टी ने 6, सुभासपा ने 6, जनसत्ता दल ने 2, कांग्रेस ने 2 और बसपा ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी। उपचुनाव में हार-जीत के बाद भी सत्तासीन भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन, इससे हवा किसके फेवर में चल रही है? यह जरूर पता चलेगा और ये भी पता मलेगा की साल 2027 में कौन किस पर भारी पड़ सकता है.

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