उत्तराखण्ड। आयुर्वेद डाक्टरों को सर्जरी का अधिकारी देने के विरोध में आईएमए का सोमवार से 14 दिन का आंदोलन शुरू हो गया। जिसमें दस-दस डाक्टर रोजाना सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक अनशन करेंगे।
हालांकि सोमवार को अनशन रस्मअदायगी भर रहा। सुबह से शाम तक अनशन के लिए इक्का-दुक्का डाक्टर पहुंचे। दोपहर तक तो आईएमए भवन में कोई भी नहीं पहुंचा था। शाम को चार बजे जरूर आईएमए के पदाधिकारी पहुंचे और बैठक कर पत्रकारों से वार्ता की।
जिलाध्यक्ष डा. अमित सिंह, सचिव डा. रूपा हंसपाल ने कहा कि 14 फरवरी तक देहरादून आईएमए भवन में दस-दस डाक्टर अनशन पर बैठेगे। इसका बकायदा रोस्टर तैयार किया गया है। वहीं अनशन के दौरान ओपीडी सेवाएं नहीं चलेगी, केवल आपातकालीन सेवाएं जारी रखी जाएगी। सोमवार को कई डाक्टरों को कोरोना का टीका लगना था।
कई की इमरजेंसी आ गई थी। इसलिए वह नहीं पहुंच पाए। सभी आंदोलन में प्रतिभाग कर रहे हैं। शाम को वह खुद दो घंटे बैठे। उधर, बैठक में वक्ताओं ने कहा कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और आयुष पद्धति से सर्जरी करने पर कोई विरोध नहीं है, लेकिन आयुष के नाम पर ऐलोपैथी चिकित्सा एनेस्थीसिया व दवाईयों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मिश्रित पैथी से इलाज करने से मरीजों की जान को खतरा होगा।
पहले आयुष पद्धति में एनेस्थीसिया को विकसित करें। आयुष व मॉर्डन मेडिकल से गंभीर मरीज पर होने वाले रिएक्शन पर बिना रिसर्च किए सरकार ने सर्जरी की अनुमति दे दी। कहा कि यदि एलोपैथिक सर्जरी में मरीज को आयुष का लेप लगाया गया तो मरीज की मौत भी हो सकती है। इसे वापस लिया जाना चाहिये।
इस दौरान कोषाध्यक्ष डा. विजय त्यागी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. जयराज सिंह, डा. संजय उप्रेती, डा. अलाके सेमतवाल, डा. राजेश तिवारी, डा. अनूप कौशल, डा. विनीत गुप्ता, डा. ध्रुव गुप्ता, डा. क्रांति नंदा, डा. सुजाता संजय आदि मौजूद रहे।