जम गया पानी, गलने लगी पेड़ों की पत्तियाः पहाड़ी क्षेत्र में शुरू हो गई बर्फबारी
पर्वतीय क्षेत्रों में पारा शून्य पर ठिठुर रहा। बर्फीली सर्दी के बीच पानी तक जमने लगा है। नलों से निकलने वाले पानी की धारा अपने ही स्वरूप में जम गई है। लगातार पाला गिरने से चुनौतियों के पहाड़ में दुश्वारियां और बढ़ गई हैं।
पहाड़ी क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। पारा शून्य के नीचे लुढ़क गया है। बर्फीली हवाओं के चलते पानी भी अब जमने लगा है। आलम ये है कि नलों से निकलने वाले पानी की धार खुद ब खुद जमने लगी है। लगातार बर्फबारी के कारण अब पेड़ों की पत्तियां भी गलतने लग गई हैं। सुबह खेतों में बर्फ की चादर ढकी मिलती है।
अल्मोड़ा के नगरीय क्षेत्रों में घनी आबादी वाले उन क्षेत्रों में जहां सीधी धूप पड़ती है, वहां तो कुछ गनीमत है। मगर पश्चिमी उत्तर ढाल वाली उन घाटियों में सर्दी का कहर बढ़ता जा रहा है जहां धूप देर से पहुंचती है। तापमान शून्य या उससे भी नीचे गिरने के कारण पेयजल लाइनें जम गई हैं। रात में भरा गया पानी बर्फ की तरह जम चुका है। यहां तक कि नल से पानी निकलना भी बंद हो गया है।
सोमेश्वर रोड पर नमन के पास टूरिस्ट स्पाट मनान हो या रानीखेत का पनियाली, चौबटिया की पिछली ढाल भालू डैम, स्याहीदेवी, शीतलाखेत आदि क्षेत्रों की विपरीत ढाल जहां दिन भर धूप नहीं रहती जलस्रोत भी जम से गए हैं। वहीं सड़कों पर लगातार पाला गिरने व धूप के अभाव में कांच सरीखी परत जमने से हादसों का खतरा भी बढ़ गया है।