Army Truck Accident: नॉर्थ सिक्किम में शुक्रवार (23 दिसंबर) को सेना के ट्रक का एक्सीडेंट हो गया है. इसमें 16 जवान शहीद हो गए हैं. इस हादसे में चार जवान घायल भी हुए हैं. भारतीय सेना ने बयान में कहा कि 23 दिसंबर 2022 को जेमा, उत्तरी सिक्किम में सेना के एक ट्रक का एक्सीडेंट हो गया. इस दुखद सड़क दुर्घटना में भारतीय सेना के 16 वीरों ने अपनी जान गंवाई है.
सेना ने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन तीन वाहनों के काफिले का हिस्सा था, जो चटन से सुबह थंगू की ओर बढ़ा था. जेमा के रास्ते में, वाहन एक तीव्र मोड़ पर स्लिप होकर नीचे खाई में गिर गया. हादसे के बाद एक बचाव अभियान तुरंत शुरू किया गया और चार घायल सैनिकों को हवाई मार्ग से निकाला गया.
3 जेसीओ समेत 16 जवान शहीद
भारतीय सेना ने कहा कि दुर्भाग्य से, तीन जूनियर कमीशंड अधिकारी और 13 सैनिक ने दुर्घटना में शहीद हो गए. इस दुख की घड़ी में भारतीय सेना शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है. नॉर्थ सिक्किम बेहद ही खतरनाक इलाका है. ये इलाका इन दिनों पूरा बर्फ से ढका होता है.
रक्षा मंत्री ने जताया दुख
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस हादसे पर दुख जताते हुए ट्वीट किया कि, “उत्तरी सिक्किम (North Sikkim) में एक सड़क दुर्घटना के कारण भारतीय सेना के जवानों की जान जाने से गहरा दुख हुआ. राष्ट्र उनकी सेवा और प्रतिबद्धता के लिए हृदय से आभारी है. शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं. जो लोग घायल हुए हैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं.”
नेशनल डेस्क: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी बलों के बीच हुई झड़प को लेकर मंगलवार को लोकसभा में बयान देते हुए कहा कि हमारे वीर जवान सीमा पर मुस्तैद हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे जवानों ने बहादुरी से चीनी सैनिकों का सामना किया और वहां से खदेड़ दिया। उन्होंने संसद में बयान देते हुए कहा कि हमारे जवानों में कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है और न ही कोई शहीद हुआ है। उन्होंने कहा भारतीय सेना के जवान बहादुरी से देश सेवा में डटे हुए हैं।
रक्षा मंत्री ने बताया कि PLA सैनिकों ने हाथापाई की और भारतीय सेना ने उसका माकूल जवाब भी दिया। वहीं झड़प के बाद दोनों देशों ने फ्लैग मीटिंग की। बता दें कि भारतीय सेना ने सोमवार को बताया था कि भारतीय और चीनी सैनिकों की तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट एक स्थान पर 9 दिसंबर को झड़प हुई, जिसमें ‘‘दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए।”
पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच पिछले शुक्रवार को संवेदनशील सेक्टर में LAC पर यांग्त्से के पास झड़प हुई। कांग्रेस के कई सांसदों ने चीन के साथ लगती सीमा पर हालात को लेकर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग करते हुए मंगलवार को कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए थे।
पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में नोटिस देकर मांग की है कि प्रश्नकाल, शून्यकाल और अन्य विधायी कार्यों को रोककर इस विषय पर चर्चा कराई जाए, जबकि कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और सैयद नासिर हुसैन ने राज्यसभा में इसी प्रक्रार के नोटिस दिए।
DESK: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी आज अपना 95वां जन्मदिन मना रहे हैं। पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आडवाणी के घर जाकर उनको जन्मदिन की बधाई दी। भाजपा के कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म कराची में 8 नवंबर 1927 को हुआ था। भाजपा को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनाने में उनका योगदान सर्वोपरि रहा है। वे कई बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं।
आडवाणी ने 1941 में 14 साल की छोटी सी आयु में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर अपने सियासी जीवन की शुरुआत कर दी थी। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन RSS और भाजपा की स्थापना में लगा दिया। अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में आडवाणी 2002 से 2004 तक देश के 7वें उप प्रधानमंत्री रहे। 2015 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाज़ा गया।
लालकृष्ण आडवाणी ने वर्ष 1998 से 2004 तक पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में गृहमंत्री के पद पर सेवाएं दी। वहीं साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों के नाम पर FIR दर्ज हुई थी, उनमे लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल थे। इसके बाद से भारतीय सियासत में उनका कद बढ़ता चला गया। वर्ष 1990 में आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अपनी पहली रथ यात्रा की शुरुआत की थी।
इस रथ यात्रा में उनके साथ मौजूदा प्रधानमंत्री और तत्कालीन भाजपा कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। बाद में इसे राम रथ यात्रा का नाम दिया गया। हालांकि, बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव के आदेश पर आडवाणी को अरेस्ट कर लिया गया था लेकिन आडवाणी का कद राजनीति में और बढ़ गया।
DESK: भारत ने बीते कुछ सालों में रक्षा क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाई है और अब आने वाले सालों में इसमें और इजाफा होने की तैयारी है। भारत की ओर से अफ्रीका समेत दुनिया के कई देशों को 35,000 करोड़ रुपये तक के हथियार और ड्रोन्स आदि बेचे जाने की तैयारी है। डिफेंस एग्जिबिशन से इतर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन तैयारियों के बारे में जानकारी दी है। इस प्रदर्शनी में भारत स्वदेश में बने हथियारों, उभरती तकनीकों पर अपनी रिसर्च और स्वार्म ड्रोन्स जैसे उपकरणों की ताकत दुनिया को दिखाएगा। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मामले में भी भारत ने बड़ी सफलता हासिल की है। अब भारत की कोशिश है कि इन हथियारों और तकनीकों को हिंद महासागर के देशों और अफ्रीकी मुल्कों को निर्यात किया जाए।
इसी कड़ी में भारत की तैयारी है कि 2025 तक यह निर्यात 35,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा लिया जाए। अफ्रीकी देशों के अपने समकक्षों से बातचीत में जुटे राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि 2025 तक इस बड़े आंकड़े को हासिल किया जाए। बीते साल भी भारत ने 13,000 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात किया था। डिफेंस सेक्रेटरी अजय कुमार ने कहा कि इस साल के एक्सपो में कुल 451 एग्रीमेंट्स पर साइन होने वाले हैं। इनमें प्रोडक्ट्स की लॉन्चिंग और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर शामिल है। मंगलवार को शुरू हुए एक्सपो से पहले राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक देश से आगे निकलते हुए टॉप 25 निर्यातकों में शामिल होने में सफलता पाई है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि निजी और सरकारी क्षेत्र मिलकर काम करेंगे तो आने वाले समय में हमारा निर्यात और तेजी से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि हम तेजी से डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग में लीडर के तौर पर आगे बढ़ रहे हैं। हम अब आयातक होने की बजाय निर्यातक बनने की दिशा में हैं। इस बार के एक्सपो में सिर्फ भारतीय कंपनियों को ही शामिल होने की परमिशन दी गई है। हालांकि विदेशी कंपनियों को सेमीनार और मीटिंग्स आदि के लिए आमंत्रित किया गया है। खासतौर पर भारतीय स्टार्टअप्स और कंपनियों में निवेश के लिए बातचीत को बुलाया गया है।
डिफेंस मिनिस्ट्री का कहना है कि यह एक्सपो सबसे बड़ा है, जिसमें 1,340 कंपनियों ने पंजीकरण कराया है। पीएम नरेंद्र मोदी भी बुधवार को इसमें पहुंचने वाले हैं और इंडिया पैवेलियन का उद्घाटन करने वाले हैं। इसमें हथियारों के अलावा ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को भी दिखाया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि इस एक्सपो में कुल 75 देशों की ओर से हिस्सा लिया जाएगा।
DESK : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का मंगलवार (11 अक्टूबर) को उनके पैतृक गांव सैफई में अंतिम संस्कार किया गया. उनके बेटे अखिलेश यादव ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी. सोमवार को 82 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली थी. सैफई में मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा. क्या नेता और क्या अभिनेता, हर कोई मुलायम सिंह यादव को श्रद्धाजंलि देने के लिए सैफई पहुंचा.
उनके अंतिम संस्कार के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सांसद वरूण गांधी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, बीजेपी की रीता जोशी, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, अनिल अंबानी, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, पूर्व सीएम कमलनाथ समेत कई दिग्गज सैफई पहुंचे. अभिनेता अभिषेक बच्चन अपनी मां और समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के साथ यूपी के पूर्व सीएम को श्रद्धांजलि देने सैफई पहुंचे.
मल्लिकार्जुन खड़गे, तेजस्वी यादव, बाबा रामदेव भी पहुंचे: कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी और पार्टी के अन्य नेता भी मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सैफई पहुंचे. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, बाबा रामदेव और पीएसपी प्रमुख शिवपाल यादव भी मौजूद रहे.
सैफई ‘नेताजी अमर रहें’ के नारों से गूंज उठा: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, “हमारे बीच बहुत मजबूत रिश्ता था. मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के एक बड़े व्यक्तित्व थे, यह देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है. हम सभी यहां उन्हें श्रद्धांजलि देने आए हैं. पीएम मोदी (PM Modi) यहां नहीं आ सके, लेकिन उन्होंने मुझे अपनी ओर से श्रद्धांजलि देने के लिए कहा.” पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच ‘नेताजी’ के नाम से मशहूर थे. उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा. इस दौरान पूरा सैफई ‘नेताजी अमर रहें’ के नारों से गूंज उठा.
DESK : दशहरे के पावन मौके पर आज सुबह उत्तराखंड के चमोली के औली सैन्य स्टेशन में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की उपस्थिति में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘शस्त्र पूजा’ की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां हथियारों की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा, “हमें विश्वास है कि हमारा देश हमारे सशस्त्र बलों के हाथों में सुरक्षित है। हमारे सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों के जवान हमारे देश के गौरव हैं।”
न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में राजनाथ सिंह को मंत्रों के जाप के साथ सशस्त्र बलों की उपस्थिति में शस्त्रों की पूजा करते हुए देखा जा सकता है। एक दूसरे वीडियो में सैनिकों को देशभक्ति के गीत गाते हुए दिखाया गया है।
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र में सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत राजस्थान के जोधपुर में वायु सेना को भारत में बने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के पहले बैच को सौंपा। इस दौरान उन्होंने कहा, “यह वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। स्वतंत्रता के बाद से भारतीय वायुसेना विदेशी हेलीकॉप्टरों पर निर्भर थी। इस निर्भरता को कम करने की सख्त जरूरत 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान महसूस की गई थी। वायुसेना अब बदलने के लिए तैयार है।”
AARYAA NEWS DESK : भारतीय वायुसेना ने पहले स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर, सीमा के करीब जोधपुर में तैनात किए जाएंगे और सोमवार को एक सैन्य समारोह में रक्षा मंत्री खुद एलसीएच वायुसेना को सौपेंगे.देश की एयर-पावर और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में 3 अक्टूबर यानी आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है.
पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) ने इसी साल मार्च में 15 स्वदेशी लाइट अटैक हेलीकॉप्टर (एलसीएच) खरीदने को मंजूरी दी गई थी. 3387 करोड़ मे ये हेलीकॉप्टर एचएएल से खरीदे गए हैं. इनमें से 10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए हैं और 05 भारतीय सेना (थलसेना) के लिए.
वायुसेना से पहले थलसेना ने स्वदेशी कॉम्बेट हेलीकॉप्टर, एलसीएच को अपने जखीरे का हिस्सा बना लिया है. गुरूवार को भारतीय सेना ने बताया कि एचएएल ने दो लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर, एलसीएच एविएशन कोर को सौंप दिए हैं. एलसीएच देश का पहला अटैक हेलीकॉप्टर है जिसे सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल ने तैयार किया है.
क्या हैं एलसीएच की खूबियां?
लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर यानि एलसीएच हेलीकॉप्टर का वजन करीब 6 टन है, जिसके चलते ये बेहद हल्का है जबकि अमेरिका से लिए गए अपाचे हेलीकॉप्टर का वजन करीब 10 टन है. वजन कम होने के चलते एलसीएच हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में भी अपनी मिसाइल और दूसरे हथियारों से लैस होकर टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है.
एलसीएच अटैक हेलीकॉप्टर में फ्रांस से खास तौर से ली गई ‘मिस्ट्रल’ एयर टू एयर यानि हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइल से लैस है.
एलसीएच में 70 एमएम के 12-12 रॉकेट के दो पॉड लगे हुए हैं.
इसके अलावा एलसीएच की नोज़ यानि फ्रंट में एक 20एमएम की गन लगी हुई है जो 110 डिग्री में किसी भी दिशा में घूम सकती है.
पायलट के हेलमेट पर ही कॉकपिट के सभी फीचर्स डिसपिले हो जाते हैं.
एलसीएच स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर को करगिल युद्ध के बाद से ही भारत ने तैयार करने का मन बना लिया था. क्योंकि उस वक्त भारत के पास ऐसा अटैक हेलीकॉप्टर नहीं था जो 15-16 हजार फीट की उंचाई पर जाकर दुश्मन के बंकर्स को तबाह कर सके. इस प्रोजेक्ट को 2006 में मंजूरी दी गई.
पिछले 15 सालों की कड़ी मेहनत के बाद जाकर ये लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर तैयार हुआ है
अपाचे और एलसीएच में क्या है खास अंतर?
भारत ने भले ही हाल में अमेरिका से बेहद ही एडवांस अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे खरीदे हों लेकिन करगिल और सियाचिन की चोटियों पर अपाचे को भी टेक ऑफ और लैंडिंग में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बेहद लाइट यानि हल्का होने और खास रोटर्स होने के चलते एलसीएच इतनी उंची चोटियों पर भी अपने मिशन को अंजाम दे सकता है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर से अतंकवाद के जल्द खत्म होने की उम्मीद जताई है। दिल्ली में स्वर्गीय बलरामजी दास टंडन व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ विषय पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि बचा हुआ आतंकवाद भी समाप्त होकर रहेगा। यह विश्वास इसलिए है क्योंकि धारा 370 और 35A के चलते अलगाववादियों को जो ताकत मिलती थी वह खत्म हो गई है।लद्दाख में चीन के साथ तनाव पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने सेनाओं को यह स्पष्ट बता रखा है कि एलएसी पर किसी भी एकतरफा कार्रवाई को नजरअंदाज नही किया जाना चाहिए।
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गलवान में उस दिन भारतीय सेना ने यही किया और पूरी बहादुरी से चीन के सैनिकों का मुकाबला करते हुए उन्हें पीछे जाने पर मजबूर कर दिया।उन्होंने कहा कि गलवान की घटना को एक वर्ष बीत चुका है मगर जिस शौर्य, पराक्रम और साथ में संयम का परिचय भारतीय सेना ने दिया है वह अतुलनीय है और आने वाली पीढ़ियां भी उन जांबाज सैनिकों पर गर्व करेंगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में हम भारत की सीमा, उसके सम्मान और स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे। सीमाओं की पवित्रता को हम कतई भंग नही होने देंगे।अफगानिस्तान के मौजूदा संकट पर रक्षा मंत्री ने कहा कि पड़ोस के अफगानिस्तान में जो कुछ भी घटित हो रहा है वह सुरक्षा की दृष्टि से नए सवाल खड़े कर रहा है। वहां के हालात पर हमारी सरकार लगातार नजर बनाये हुए है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बावजूद इसके कि हमारी सीमा पर चुनौतियां हैं, देश के लोग इस बात को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि देश की सुरक्षा के साथ किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाएगा। राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु में डीएससी कॉलेज के कार्यक्रम में बोलते हुए साफ कहा है किसी भी हाल में देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जाएगा।इस दौरान उन्होंने चीन-पाकिस्तान से लेकर पूर्वोत्तर को लेकर भी करारा जवाब दिया है। साथ ही आतंकवाद के खात्मे को लेकर भरोसा जताया है। रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान दो युद्ध हारने के बाद भी छद्म युद्ध (proxy war) का सहारा ले रहा है और आतंकवाद उसकी राज्य नीति का एक अभिन्न अंग बन गया है। उसने आतंकियों को हथियार, फंड और ट्रेनिंग देकर भारत को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
राजनाथ सिंह ने कहा,’ अगर भारत और पाकिस्तान के बीच आज सीजफायर सफल होता है, तो यह हमारी ताकत के कारण है। राजनाथ ने कहा कि वर्ष 2019 में बालाकोट हवाई हमले से हम मजबूत हुए हैंपाकिस्तान के अलावा राजनाथ सिंह ने चीन को भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा,’ भारत-चीन सीमा गतिरोध के दौरान, जब चीनी सेना आगे बढ़ने की कोशिश कर रही थी तो उस दौरान मैंने लगभग रात 11 बजे सेना प्रमुख से बात की थी। उस गंभीर स्थिति में भी हमारे बलों ने जिस तरह विवेकपूर्ण व्यवहार किया वह काबिले तारीफ है इसके अलावा पिछले राजनाथ सिंह ने कहा,’ इसी तरह पूर्वोतर क्षेत्र में भी पिछले साल सीमा पर यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास किया गया था। वहां भी हमने एक नई गतिशीलता के साथ अपने विरोधी का सामना किया।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु में रक्षा सेवा स्टाफ कालेज (DSSC, वेलिंगटन को संबोधित करते हुए कहा,’ यह विश्वास कि भारत न केवल अपनी जमीन पर आतंकवाद को खत्म करेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपनी जमीन पर आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने में भी संकोच नहीं करेगा।
एससीओ के रक्षा मंत्रियों की वार्षिक बैठक भाग लेंगे राजनाथ सिंह, ताजिकिस्तान के समकक्ष से करेंगे मुलाकात
रक्षा मंत्रालय के अनुसार राजनाथ सिंह मंगलवार को दुशांबे के तीन दिवसीय दौरे पर रवाना होंगे। वार्षिक बैठक में एससीओ सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। कई देशों के शीर्ष नेताओं के विचार-विमर्श के बाद एक विज्ञप्ति जारी किए जाने की उम्मीद है।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ताजिकिस्तान के दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की वार्षिक बैठक में भाग लेंगे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार राजनाथ सिंह मंगलवार को दुशांबे के तीन दिवसीय दौरे पर रवाना होंगे। वार्षिक बैठक में एससीओ सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। कई देशों के शीर्ष नेताओं के विचार-विमर्श के बाद एक विज्ञप्ति जारी किए जाने की उम्मीद है। बैठक में सिंह का संबोधन बुधवार यानी 28 जुलाई निर्धारित किया गया है।
दुशांबे की अपनी यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ताजिकिस्तान के समकक्ष कर्नल जनरल शेराली मिर्जो से भी द्विपक्षीय मुद्दों और आपसी हित के अन्य मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है।
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बता दें कि इसके पहले सितंबर 2020 में मास्को में हुई शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में बिना नाम लिए चीन और पाकिस्तान पर निशाना साधा था। रक्षा मंत्री ने कहा था कि भारत आतंकवाद की सभी रूपों और इसके समर्थकों की निंदा करता है। राजनाथ सिंह ने चीन का नाम लिए कहा था कि शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित एससीओ क्षेत्र के लिए जरूरी है कि सदस्यों के बीच एकदूसरे के प्रति गैर-आक्रामकता का परिचय दिया जाए। इस बैठक में भारत और रूस के अलावा चीन के रक्षा मंत्री ने भी भाग लिया था।
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गौरतलब है कि ताजिकिस्तान इस वर्ष एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और मंत्रिस्तरीय और आधिकारिक स्तर की बैठकों की श्रृंखला की मेजबानी कर रहा है। इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ राज्यों के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक के लिए दुशांबे में थे। जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की थी और उनके साथ एक घंटे की द्विपक्षीय बैठक की थी। इस बैठक के दौरान विदेश मंत्री ने बताया था कि सीमा क्षेत्र की यथास्थिति में एकतरफा बदलाव भारत को स्वीकार्य नहीं है।
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