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देव दीपावली पर मां गंगा ने पहना दीपों का चंद्रहार-वाराणसी

देव दीपावली पर मां गंगा ने पहना दीपों का चंद्रहार-वाराणसी

कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी की अदभुत अलौकिक और दिव्‍य दीपावली चौरासी गंगा घाटों पर अपनी स्‍वर्णिम आभा बिखेर रही है। शुक्रवार की शाम को दीपों की दपदप, विद्युत झालरों की जगमग, सुरों की खनक, कहीं गीत-संगीत की सरीता बह रही है। फूलों की सुवास तो कहीं चटकीले रंगों का वास। सच कहें तो गंगा की लहरों पर सतरंगी इंद्रधनुष आकाश से उतर आया।

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दशाश्‍वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान यह अनुपम नजारा कैद करने के लिए सैलानियों के कैमरे गंगा की लहरों पर चमकते नजर आए तो गंगा की लहरों पर सवार नौका और बजड़ों से नदी में ट्रैफि‍क जाम सरीखा नजारा भी दिखा। वहीं पंचगंगा घाट पर हजारा रोशन होते ही हर हर महादेव और हर हर गंगे के जयघोष से घाट गूंज उठा। दूर गंगा की मध्‍य लहरों पर घाट की अनुपम छवियों के आगे पूर्णिमा के चांद की चांदनी भी आयोजन की भव्‍यता में फीकी नजर आई।

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इस सतरंगी गहने में दमकती जाह्नवी के सौंदर्य के बखान में महाकवि रत्नाकर की पंक्तियों को भी मानोंं आइना दिखाया। त्रिपुर राक्षस वध के उत्सव यानी काशी के अनूठे जलोत्सव देव दीपावली महोत्सव पर भोले बाबा की नगरी में शुक्रवार शाम गंगा ने कुछ ऐसे ही पहना सतरंगी गहना। इसकी छटा निरखने इस बार घाट पर सीएम समेत सरकार तो उतरी ही हर बार की तरह देश-दुनिया से जुटी हजारों-लाखों की भीड़ जिसे न गिन पाना संभव, न आकलन कर पाना ही आसान रहा। इंद्रधनुष से बिखरने वाले चटख रंगों में तन-मन भिगोने को आतुर मेहमानों ने उत्तर वाहिनी गंगा के गले में चंद्रहार की तरह सजे घाटों से लगायत जलधार पर चमकते सितारों को खुली आंखों से दीपमाला की तरह उतरते-बिखरते व निखरते देखा।

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