केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना से उबरती अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए एक व्यावहारिक और सार्थक बजट प्रस्तुत किया है।
प्राकृतिक खेती और मांग आधारित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष घोषणा की गई है। ,किसानों की आमदनी बढ़ाने के मद्देनजर कृषि में निजी निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिए गए हैैं।
आम बजट में वित्त मंत्री ने खपत और रोजगार बढ़ाने पर दिया जोर, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना से उबरती अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए एक व्यावहारिक और सार्थक बजट प्रस्तुत किया है। इसके लिए राजकोषीय घाटे को बढ़ाने से भी कोई संकोच नहीं किया है। व्यापक रणनीतिक प्रविधानों से अर्थव्यवस्था को विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया है। वित्त मंत्री को विश्वास है कि वित्त वर्ष 2022-23 में व्यापक वैक्सीन कवरेज, आपूर्ति-पक्ष सुधार और नियमों में ढील से विकास को गति मिलेगी। सार्वजनिक निवेश के साथ निजी क्षेत्र का निवेश अच्छी स्थिति में रहेगा।
बजट में खेती और किसानों के हितों को उच्च प्राथमिकता दी गई है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के मद्देनजर कृषि में निजी निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिए गए हैैं। प्राकृतिक खेती और मांग आधारित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष घोषणा की गई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाने वाली सरकारी खरीद के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नए प्रविधान किए गए हैैं। कृषि उत्पादों की मार्केटिंग, ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बड़े एलान किए गए हैं। वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों, खपत और नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा है। यह जीडीपी का 2.9 प्रतिशत है। बजट में सौर ऊर्जा सेक्टर को लेकर भी बड़ी घोषणा हुई है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत 80 लाख घरों के निर्माण को पूरा करने के लिए 48 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। किफायती आवास, रियल एस्टेट और निर्माण पर सरकार ने जोर दिया है।
सरकार चाहती है कि आने वाले वर्षों में भारत विश्व का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनकर उभरे। इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए वित्त मंत्री ने बजट में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बड़े एलान किए हैं। श्रम आधारित कृषि क्षेत्र और सूती वस्त्र उद्योगों को बड़े प्रोत्साहन दिए गए हैैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बजट में पीएलआइ (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना को गतिशील करने के लिए आवंटन बढ़ाए गए हैैं। इससे चीन और अन्य देशों से कच्चे माल और विभिन्न वस्तुओं के आयात को कम किया जा सकेगा। वित्त मंत्री ने रिकार्ड निर्यात का लक्ष्य रखते हुए विभिन्न कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाया हैै। ये आयात शुल्क ऐसी चीजों के कच्चे माल पर घटाए गए हैं, जिनका पीएलआइ क्षेत्र के उद्योगों में उपयोग होता है। बजट में वोकल फार लोकल को बढ़ावा देने के साथ-साथ सावरेन ग्रीन बांड लाने का भी प्रस्ताव है।
वित्त मंत्री ने देश में खुदरा कारोबार और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने तथा कारोबार करने के लिए आवश्यक लाइसेंस की संख्या घटाकर उनका अनुपालन बोझ हल्का करने का निर्णय लिया है। स्टार्टअप के लिए टैक्स छूट 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाई गई है। एमएसएमई सेक्टर को दो लाख करोड़ रुपये का विशेष राहत पैकेज दिया गया है। विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के विकल्प की घोषणा कर उसे अधिक उपयोगी बनाने की बात कही है। आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना को मार्च 2023 तक बढ़ाया गया है। गारंटी कवर को भी पांच लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया है। इससे उद्योगों में पूंजी की राह आसान होगी। बजट में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने और सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रविधान किए गए हैं। कोआपरेटिव सोसायटी के लिए मैट की दर घटाकर 15 फीसद की गई है। राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती देने के लिए रक्षा बजट और रक्षा अनुसंधान में बड़ा इजाफा किया गया है।
हालांकि बजट के समक्ष कई चुनौतियां भी दिखाई दे रही हैं। दरअसल बजट अनुमान कच्चे तेल की 70-75 डालर प्रति बैरल की कीमत पर आधारित हैं। जबकि इस समय कच्चे तेल की कीमतें करीब 90 डालर प्रति बैरल के आसपास हैं। इसके 100 डालर प्रति बैरल से अधिक के स्तर पर पहुंचने की आशंका है। अर्थव्यवस्था के समक्ष महंगाई बढऩे और कमजोर मांग की भी चुनौती है। एक चुनौती कई सरकारी विभागों को किए गए भारी भरकम आवंटन को उपयुक्त रूप से खर्च करने की है। देश की अर्थव्यवस्था को वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच लाख करोड़ डालर तक पहुंचाने के लिए अगले तीन वर्षों के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र में करीब 105 लाख करोड़ रुपये का निवेश करना पड़ेगा, लेकिन इतना धन जुटाना सरल नहीं होगा। चूंकि बजट अगले 25 वर्षों का ब्लूप्रिंट है, अत: इस दौरान आर्थिक और सामाजिक सशक्तता के लिए व्यापक निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए बड़े प्रयास करने होंगे। बजट में छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स से राहत नहीं मिली है। यह वर्ग अपनी क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए सरकार से इसकी अपेक्षा कर रहा था। एक बड़ी चुनौती निजीकरण, विनिवेश और संपत्ति मौद्रीकरण के जरिये अतिरिक्त संसाधन जुटाए जाने के ऊंचे लक्ष्यों को प्राप्त करने की भी है।
कुल मिलाकर आम बजट से अर्थव्यवस्था में सुधार का मजबूत रास्ता बनेगा और रोजगार के नए अवसर बनेंगे। हम उम्मीद करें कि इससे आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ेगी, नई मांग का निर्माण होगा और अर्थव्यवस्था की गतिशीलता बढ़ेगी। साथ ही आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 में देश की विकास दर दुनिया में अव्वल दिखाई दे सकेगी।