Varun Gandhi Political Profile: उत्तर प्रदेश में पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी की पार्टी के खिलाफ बयानबाजी जारी है. इस बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान के बाद ये अटकलें और तेज हो गई हैं. लेकिन हम वरुण गांधी के राजनीतिक सफर पर नजर डालते हैं.
इससे बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में पार्टी ने सुल्तानपुर से वरुण गांधी को उम्मीदवार बनाया था. उनकी पीलीभीत सीट पर मेनका गांधी को टिकट दिया गया. इस चुनाव में भी वरुण गांधी ने चार लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. हालांकि 2014 के बाद कई मौकों पर वरुण गांधी का बयान सुर्खियों में रहा. खास तौर पर ललित मोदी द्वारा ट्वीट कर किए गए दावे की तो काफी चर्चा हुई. तब मेनका गांधी बीजेपी सरकार में मंत्री भी थीं.
इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव बीजेपी ने वरुण गांधी को फिर से पीलीभीत सीट पर उम्मीदवार बनाया. जबकि मेनका गांधी सुल्तानपुर से मैदान में उतारा गया. वरुण गांधी और मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की. लेकिन इस बार मेनका गांधी को मंत्री नहीं बनाया गया. जिसके बाद वरुण गांधी की नाराजगी साफ तौर पर देखी गई. इसके करीब एक साल बाद मनेका गांधी को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं दी गई.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं मिलने के बाद वरुण गांधी पार्टी के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गए. यूपी विधानसभा चुनाव से पहले तो केंद्र और यूपी सरकार पर वरुण गांधी ने जमकर निशाना साधा. पार्टी के ज्यादातर फैसले पर उन्होंने न केवल नाराजगी जताई, बल्कि खुले मंच से पार्टी के खिलाफ जमकर बयानबाजी की. हालांकि एक वक्त जब राजनाथ सिंह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे तो वरुण गांधी की पार्टी में कई पदों पर जगह दी गई थी.
तब वरुण गांधी बीजेपी के महासचिव रहे, इसके अलावा उन्हें पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने प्रभारी भी बनाया था. लेकिन 2014 के बाद उनका पार्टी में कद घटना शुरू हो गया था. तब उन्हें पार्टी के महासचिव पद से भी हटा दिया गया था.