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#किसी देश की आबादी से भी अधिक है उत्तर प्रदेश की जनसंख्या#दो अधिक संतान तो ये कटौतियां

नई जनसंख्या नीति के उल्लंघन करने पर जाएगी नौकरी #दो अधिक संतान तो ये कटौतियां

नई जनसंख्या नीति में अगर परिवार के अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और नसबंदी करवाते हैं तो उन्हेंं अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं देने की सिफारिश की गई है। दो बच्चों वाले दंपत्ति अगर सरकारी नौकरी में नहीं हैं तो उन्हेंं पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है। एक संतान पर खुद से नसबंदी कराने वाले हर अभिभावकों को संतान के 20 वर्ष तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की सिफारिश है। इसके अंतर्गत सरकारी नौकरी वाले दंपती को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का सुझाव है। अगर दंपती गरीबी रेखा के नीचे हैं और एक संतान के बाद ही स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उनके बेटे के लिए उसे 80 हजार और बेटी के लिए एक लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने की भी सिफारिश है।

कानून लागू हुआ तो एक वर्ष में सभी सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों, स्थानीय निकाय में चुने जनप्रतिनिधियों को शपथपत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे। इसमें सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन रोकने व बर्खास्त करने तक की सिफारिश है। हालांकि, ऐक्ट लागू होते समय प्रेगेनेंसी हैं या दूसरी प्रेगनेंसी के समय जुड़वा बच्चे होते हैं तो ऐसे केस कानून के दायरे में नहीं आएंगे। अगर किसी का पहला, दूसरा या दोनों बच्चे नि:शक्त हैं तो उसे भी तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा। तीसरे बच्चे को गोद लेने पर भी रोक नहीं रहेगी।

आयोग ने ड्राफ्ट में धाॢमक या पर्सनल लॉ के तहत एक से अधिक शादियां करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान किए हैं। अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक शादियां करता है और सभी पनयिों से मिलाकर उसके दो से अधिक बच्चे हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा। हर पत्नी सुविधाओं का लाभ ले सकेगी। वहीं, अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिलाकर दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एन मित्तल का कहना है कि जनसंख्या नीति तो आती हैं, लेकिन इसे रोकने का कोई कानून नहीं हैं। नीति में आप अनुदान व प्रोत्साहन दे सकते हैं लेकिन दंड या प्रतिबंध नहीं लगा सकते इसलिए आयोग ने कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है। सुझावों को अंतिम रूप देने के बाद हम इसे प्रदेश सरकार को सौंपेंगे।

राज्य विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस एएन मित्तल ने बताया कि देश की आजादी के समय से ही जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की जरूरत थी। हमने स्वत: संज्ञान लेकर इस कानून को बनाने के लिए कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना जरूरी है। कई राज्यों ने इस दिशा में कदम उठाये हैं। जनसंख्या वृद्धि पर रोक नहीं लगाई गया तो बेरोजगारी, भुखमरी समेत अन्य समस्याएं बढ़ती जाएंगी। इसी सोच को लेकर जनसंख्या नियंत्रण पर राजस्थान, मध्य प्रदेश व असोम में लागू कानूनों का अध्ययन किया गया है। बेरोजगारी और भुखमरी समेत अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर एक मसौदा तैयार किया गया है। इसके बाद सरकार इसे प्रदेश में कानून के रूप में लागू करेगी। अब जिन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेना होगा वह सभी कानून का पालन भी करेंगे। उन्होंने बताया कि मसौदे के अनुसार अगर कोई व्यक्ति दो बच्चों की नीति नहीं अपनाता है, तो उसका राशन कार्ड सस्पेंड कर दिया जाएगा। ऐसे व्यक्ति को सरकार से मिलने वाली तमाम सेवाओं से वंचित कर दिया जाएगा। जस्टिस मित्तल ने बताया कि सरकार ने इसमें कोई पहल नहीं की है। हमने स्वत: संज्ञान लेकर मसौदा तैयार किया है।

2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश की आबादी करीब 20 करोड़ थी। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या करीब 24 करोड़ मानी जा रही है। धर्म के आधार पर 2011 में उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की आबादी करीब 16 करोड़ थी। यह कुल आबादी का करीब 80 फीसदी है। वहीं मुसलमानों की आबादी करीब चार करोड़ के आसपास रही है। ईसाई की संख्या करीब चार लाख, सिख की साढ़े छह लाख और जैन की दो लाख 30 हजार है। जनसंख्या के मामले में उत्तर प्रदेश दुनिया के पांच देशों से ही पीछे है। उत्तर प्रदेश की आबादी छठे देश के बराबर है।1- सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं2- राशन कॉर्ड में चार से अधिक सदस्य नहीं3- स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे4- सरकारी नौकरियों में मौका नहीं।

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