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यूपी में मुस्लिमों का आरक्षण खत्म योगी सरकार के फैसले से देश हैरान

जब से देश में 18वी लोकसभा के लिए चुनाव शुरू हुए हैं. तभी से आरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जो पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक चारों देश की चारों दिशाओं में लगातार घूम रहा है

जब से देश में 18वी लोकसभा के लिए चुनाव शुरू हुए हैं. तभी से आरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जो पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक चारों देश की चारों दिशाओं में लगातार घूम रहा है. इन चुनावों में आरक्षण नाम की इस चीडिया ने ऐसा तूल पकड़ रखा है. जो कम होने का नाम नहीं ले रहा है. चाहें पक्ष हो या विपक्ष. चाहें बीजेपी हो या कांग्रेस. तमाम राजनैतिक पार्टियों ने इसे अपने अपने हिसाब से इसे चुनावी मुद्दा बनाया और जनता से वोट लेने की कोशिस की.

लेकिन अब आरक्षण को लेकर देश के सबसे अहम सियासी सूबे यूपी से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने पूरे देश के सियासी पारे को 50 डिग्री सेल्सियस से भी पार पहुंचा दिया. दिलचस्प बात ये है कि योगी जिस आरक्षण.की बात कर रहे है वो कोई आम आरक्षण नहीं बल्कि मुस्लिमों की 24 जातियों को मिलने वाले आरक्षण को लेकर है.

कहावत है कि बात निकली है तो दूर तक जाएगी. ऐसे ही इन चुनावों में आरक्षण की बात तो निकली राजधानी दिल्ली से लेकिन इसने पैर जमा लिये योगी के यूपी में. दरअसल उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग आरक्षण (OBC Reservation) की समीक्षा कराने पर विचार शुरू कर दिया है. इसके तहत यूपी में अब ओबीसी आरक्षण के तहत मुसलमानों को दिए जाने वाले आरक्षण के आधार की जांच कराई जाएगी. उत्तर प्रदेश में 24 से ज्यादा मुस्लिम जातियां ऐसी हैं जिनको आरक्षण का लाभ मिलता है.

मीडिया रिपोर्ट आने के बाद ओबीसी आरक्षण पर चर्चा का बाजार गरमा गया है. लोकसभा चुनाव के छठे चरण की वोटिंग से पहले मुस्लिम आरक्षण पर यह बड़ा मामला सामने आ गया है. यूपी में अब मुस्लिमों को आरक्षण के आधार पर जांच कराए जाने की तैयारी है दरअसल उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने धर्म के आधार पर आरक्षण के मसले पर पिछले दिनों लगातार कई बयान दिए हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव के मैदान में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक धर्म के आधार पर आरक्षण के मसले पर कांग्रेस को घेरते रहे हैं। ऐसे में यूपी में योगी सरकार ने धार्मिक आधार पर आरक्षण दिए जाने को लेकर अब जांच कराने की तैयारी कर ली है।

उत्तर प्रदेश में मुसलमानों जातियों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलता है अब योगी सरकार यह जांच कराएगी कि आखिर मुसलमानों को किस आधार पर आरक्षण दिया जा रहा है.दरअसल, मुसलमानों में ये दावा किया जाता कि उनमें जातियों का कॉन्सेप्ट नहीं है. औक वहीं संविधान में धार्मिक आधार पर आरक्षण न दिए जाने की बात कही गई है. ऐसे में अब तर्क ये दिया जा रहा हैं कि अगर आर्थिक आधार पर मुसलमान को आरक्षण दिया जा रहा है तो वह हिंदू समाज के सामान्य वर्ग के गरीब तबके को मिलने वाले आरक्षण के आधार पर होना चाहिए. यूपी में मुस्लिमों को ओबीसी आरक्षण के दायरे में नहीं रखे जाने की बात कही जा रही है.

दरअसल मंडल कमीशन की सिफारिसे लागू होने के बाद आरक्षण के आधार पर ओबीसी कोटे को यूपी में 27 फीसदी रिजेर्वेशन दिया जाता है. अभी तक इस आरक्षण का लाभ मुसलमानों की करीब दो दर्जन जातियों को मिल रहा है. यूपी में योगी सरकार अब यह जांच कर रही है कि मुसलमानों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ किस आधार पर दिया जा रहा है. सरकार के स्तर पर प्रारंभिक जांच के दौरान अधिकारियों के समक्ष अलग मामले सामने आए. जांच में पता चला है कि समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान मुसलमानों की 24 से अधिक जातियों को ओबीसी आरक्षण के दायरे में लाया गया था. हालांकि, उन्हें किस आधार पर आरक्षण दिया गया, इसका जिक्र नहीं किया गया है। भाजपा का दावा है कि यह नियम के खिलाफ कार्रवाई है.

और अब सरकार के स्तर पर इस मामले की जांच कराई जाएगी कि आखिर कैसे मुसलमानों को आरक्षण का लाभ दिया गया? सरकार के स्तर पर जांच के बाद इस पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। सूत्रों का दावा है कि यूपी ओबीसी आयोग इस मामले में आवश्यक जानकारियां जुटा रहा है। अधिकारियों की ओर से निर्देश दिया गया है कि इस रिजर्वेशन की तमाम बारीकियों पर गौर किया जाए। आरक्षण दिए जाने के आदेश से लेकर अब तक लाभ पाने वालों तक के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी।

विभागीय स्तर पर जुटाया गया पूरा ब्योरा सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष पेश किया जाएगा। इसके बाद बैठकों का दौर शुरू होगा। इसमें मुसलमानों को ओबीसी आरक्षण के तहत दिए जाने वाले और दिए गए लाभ पर अहम फैसला हो सकता है।

 

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