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Survey: प्राइवेट में 53 फीसद प्रसव हो रहा ऑपरेशन से, ज्यादा जानने के लिए पढ़े पूरी खबर

राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वे में चौंकानेवाली रिपोर्ट आई है। इसमें कहा गया है कि निजी अस्‍पतालों में 53 फीसद प्रसव ऑपरेशन से होता है। जबकि सरकारी अस्‍पतालों में यह आंकड़ा महज तीन फीसद है। इससे पता चलता है कि कितना बड़ा खेल चल रहा है।

नई दिल्ली : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) की रिपोर्ट में चौंका देने वाला खुलासा हुआ है। निजी अस्‍पताल वाले पैसे के लालच में गर्भवती महिलाओं का जानबूझकर ऑपरेशन कर रहे हैं।

जानबूझकर किया जा रहा ऑपरेशन

रिपोर्ट के अनुसार जिले के निजी अस्पतालों में हर 100 में से 53 महिलाओं का सीजेरियन ऑपरेशन से प्रसव कराया जा रहा है। यानी जिले में 53 फीसद गर्भवती महिलाओं का प्रसव ऑपरेशन के जरिए हो रहा है। सरकारी अस्पतालों में ऐसा बिल्कुल नहीं है। सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं का सिजेरियन ऑपरेशन न के बराबर होता है। जिले के सदर अस्पताल व सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों में हर 100 में महज तीन महिलाओं का ही सिजेरियन ऑपरेशन से प्रसव हो रहा है। यानी यहां 97 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की समान्य प्रसव हो रहा है।

निजी क्लीनिक में 30 मिनट में हो रहा प्रसव

समान्य प्रसव में कई बार 10 से 15 घंटे तक का समय लग जाता है। इससे बचने के लिए निजी क्लीनिक में सिजेरियन ऑपरेशन किया जाता है। निजी क्लीनिकों में 30 से 35 मिनट के बीच सिजेरियन ऑपरेशन पूरा हो जा रहा है। इसके बदले चिकित्सक को मोटी फीस भी मिल जाती है। ऐसे में निजी क्लीनिकों में 10 से 15 घंटे का इंतेजार करना नहीं चाहते हैं और कम समय में काम पूरा करने में ही दिलचस्पी दिखाते हैं।

जागरुकता के अभाव में हो रहा शोषण

सुरक्षित प्रसव के लिए सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में तमाम व्यवस्था की गई है। महिलाओं को निशुल्क प्रसव, दवा एवं आर्थिक मदद भी मुहैया करायी जाती है। वहीं दूसरी तरफ निजी क्लीनिक में ऑपरेशन से प्रसव कराया जाता है। बावजूद सरकारी अस्पतालों में महिलाएं प्रसव के लिए नहीं पहुंच रही हैं। सरकारी अस्पताल में प्रसव का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है। सरकार गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा कराने को लेकर काफी पैसा खर्च कर रही है। गांवों में आशाओं की तैनाती की गई है ताकि गर्भवती महिलाओं की नियमित देखभाल हो सके।

अस्पताल में सक्रिय रहते हैं दलाल

सरकारी अस्पतालों में दलाल सक्रिय रहते हैं। अस्पतालों में कई दलाल ऐसे हैं जो प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं व उनके स्वजनों पर पैनी निगाह रखते हैं। दूर-दराज, गांव-देहात व कम पढ़े-लिखे मरीजों को बरगलाकर शहर के निजी क्लीनिक में ले जाते हैं। इसके एवज में निजी क्लीनिक से मोटी कमिशन लेते हैं। यह धंधा अस्पताल में पूरी तरह फल-फूल रहा है। अधिकारियों को संज्ञान में रहते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।सिविल सर्जन अकरम अली कहते हैं कि मरीजों के अंदर जागरुकता की कमी है। बेवजह लोग निजी क्लीनिक में चले जाते हैं। अस्पताल में प्रसव से लेकर ऑपरेशन तक की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। चिकित्सक प्रतिदिन ऑपरेशन के द्वारा प्रसव भी करा रही हैं।

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